आम भौतिक चमक-दमक से दूर भारत के किसी कोने में एक गांव था ! वह गांव इतना छोटा था कि उसने मात्र 5 परिवार रहते थे ! गांव का मुखिया “ठाकुर साहब” बहुत ही कर्मठ, ईमानदार, न्याय प्रिय और गांव के सभी परिवारों का ध्यान रखने वाले व्यक्ति थे ! गांव के अंदर यदि कोई समस्या पैदा होती तो दोनों पक्ष ठाकुर साहब के यहां जाकर अपनी-अपनी बात कहते थे ! ठाकुर साहब विचार करके जो निर्णय लेते थे वह पूरे गांव को मान्य होता था !
उसी गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और कर्मकांड आदि के लिए एक ब्राम्हण परिवार भी रहता था ! जिस किसी को स्वास्थ्य संबंधी कोई दिक्कत होती थी, वह पंडित जी के यहां जाकर वनस्पतियों पर आधारित आयुर्वेदिक दवाइयां लेकर स्वस्थ हो जाता था ! यदि कोई व्यक्ति अपने बच्चे को बेसिक शिक्षा देना चाहता था, तो वह बच्चा पंडित जी के यहां जा कर अपनी आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर सकता था और यदि उस गांव में कोई शादी विवाह आदि में ब्राह्मण की आवश्यकता होती थी, तो पंडित जी वह कार्य भी संपादित करवा देते थे ! बदले में गाँव के लोग पंडित जी को दान आदि दिया करते थे, जिससे उनका निर्वाह चलता था !
गांव में तीसरा एक बनिया भी अपने परिवार के साथ रहता था ! वह गांव के लोगों के आवश्यकता के अनुरूप चीजों का उत्पादन या निर्माण करता था और निर्वाह योग्य मुनाफा लेकर गांव के लोगों में अपनी वस्तुयें बेचता था ! जिससे उस बनिया के परिवार का पालन पोषण होता था ! गांव के लोग भी खुश थे और वह बनिया परिवार भी बहुत खुश था !
गांव के अंदर चौथा एक किसान परिवार भी रहता था जो गांव की चौहद्दी के अंदर तरह-तरह के फल-फूल, सब्जी, अनाज आदि पैदा करता था और गांव के अंदर ही लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप बेच देता था ! बदले में गांव के लोग उस किसान को उसकी आवश्यकता के अनुरूप सामान दे देते थे ! इससे वह प्रसन्न और मस्त रहता था !
वस्त्रादि के लिए उसी गांव में पांचवां एक जुलाहा भी रहता था, जो गांव की आवश्यकता के अनुरूप वस्त्रों का निर्माण करता था और उसी का बड़ा बेटा बरतन आदि बनाने का कार्य करता था और छोटा बेटा लकड़ी के सामान बनाया व बेचा करता था !
सभी परिवार अपनी स्थिति से पूरी तरह संतुष्ट और खुश थे ! गांव में प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से प्रेम करता था और किसी के भी दुख-दर्द में हर व्यक्ति खड़ा हो जाता था ! व्यक्तिगत रूप से सभी एक दूसरे को जानते थे ! इसलिए दशकों से कभी भी उस गांव में हत्या, ठगी, लूट, बलात्कार आदि जैसी कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई थी !
एक दिन गांव वालों को पता चला कि उनके गांव में बैंक खुलने वाला है ! कुछ दिनों बाद बैंक खुल गया ! अब बैंक के मैनेजर साहब ने गांव के लोगों से व्यक्तिगत संबंध बढ़ाने शुरू किये और उन्हें बचत का महत्व बतलाया ! लोगों को प्रेरित किया कि आप लोग मेरे बैंक में बिना कुछ दिये “0” बैलेंस पर खाते खुलवा लीजिए ! गांव के लोगों को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आई ! सभी लोगों ने बैंक में बिना कुछ दिये अपने-अपने बचत खाते खुलवा लिये ! कुछ समय बीता गांव में सब कुछ वैसा ही चल रहा था जैसा बैंक खुलने के पहले था !सभी प्रसन्न व सहयोग के भाव के साथ अपना जीवन यापन कर रहे थे !
अचानक एक दिन मैनेजर साहब ने कहा कि बैंक में एक योजना आई है ! बैंक आप लोगों तो एक-एक लाख रुपए बिना किसी शर्त के मात्र 10% ब्याज पर दे रही है ! मुझे अपना कोटा पूरा करना है अतः आप लोग बैंक से लोन ले लीजिये ! गाँव के लोगों ने बैंक मैनेजर से अनेक तरह के प्रश्न किए ! जिस पर मैनेजर साहब ने गाँव के लोगों को तरह-तरह के सब्जबाग दिखाएं और गाँव के लोगों ने मुखिया ठाकुर साहब की स्वीकृति पर मैनेजर पर विश्वास करके अपनी-अपनी स्वीकृति दे दी ! कुछ कार्यवाही के बाद सभी गाँव वालों के खाते में एक-एक लाख रुपए का बैंक लोन डाल दिया गया ! मैनेजर साहब का टारगेट पूरा हो गया !
गांव में संसाधन सीमित थे ! आय के कोई अतिरिक्त स्रोत हे न था ! अतः गांव वालों ने बैंक मैनेजर के कहने पर एक–एक लाख रुपए लोन तो ले लिया लेकिन उसका करें क्या ! यह किसी को समझ में न आए पैसा खाते में ही पड़ा रहा ! धीरे-धीरे 2 साल बीत गये ! अब बैंक के मैनेजर ने सब लोगों से धन वापस करने के लिए कहा ! लोगों ने कहा कि “आपने जो एक लाख रुपए मुझे दिया था, वह आज भी मेरे बचत खाते में उसी तरह पड़ा है ! आप उसको वापस ले लीजिए !
बैंक मैनेजर में वह एक-एक लाख रुपए सभी के बचत खातों से निकाल कर वापस बैंक के खाते में ले लिया ! किंतु लोगों ने देखा के इसके बाद भी पूरे गांव के सभी खातों में 20-20 हजार रुपए का कर्ज़ बैंक को देने को बाकी है ! गाँव के लोगों ने इस संदर्भ में बैंक मैनेजर से बात की तो बैंक मैनेजर ने कहा कि “मैंने तो आपको पहले ही बताया था कि आपको जो यह लोन में दे रहा हूं, उस पर 10% ब्याज आपको देना पड़ेगा ! तो यह 20-20 हजार रुपए लोन पर 10% के हिसाब से दो वर्ष का ब्याज है ! जो आपको देना ही होगा वर्ना हम क़ानूनी कार्यवाही करेगें और आप सब को जेल जाना पड़ेगा !
इसी बीच में गांव की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए, जबकि पहले से ही सभी लोग सुरक्षित थे ! गांव में एक पुलिस थाना भी बन गया ! अब एक दिन बैंक मैनेजर ने गांव के सभी लोगों को बुलाया और कहा कि आप लोगों के खाते में 20-20 हजार रुपए जो बैंक कर्ज के पड़े हैं ! उसे तत्काल जमा कर दीजिए वरना आप लोगों के विरुद्ध बैंक कार्यवाही करेगा और बैंक मैनेजर ने गांव के लोगों को इतना डराया धमकाया और कर्ज न देने के दुष्परिणामों से भयभीत किया कि उससे घबराकर गांव का जुलाहा परिवार सहित गांव ही छोड़कर भाग गया !
गांव के किसान ने मैनेजर की बात पर से डरकर अपने ही खेत में लगे हुए नीम के पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली ! परिवार के लोग इस घटना से इतने ज्यादा दुखी हुए के पूरे के पूरे परिवार ने ही जहर खाकर आत्महत्या कर ली ! बैंक ने खेत नीलम करके कर्ज की रकम वसूल कर ली !
व्यापारी बनिया मैनेजर की बात से इतना घबरा गया कि उसने अपने पत्नी और बेटी के लिए जो सोने चांदी के जेवर बनवाए थे ! उन्हें बैंक के पास गिरवी रखकर बैंक का पुराना लोन अदा कर दिया ! कालांतर में नए लोन की रकम अदा न कर पाने के कारण बैंक बनिया के सोने चांदी का जेवर हड़प कर गया !
पंडित जी जो समाज में एक प्रतिष्ठित जीवन जीते थे ! उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए अपने बच्चों को दूरदराज किसी गांव में गुलामी करने के लिए बेच दिया और उससे प्राप्त हुई रकम से बैंक का ब्याज अदा कर दिया !
अब रही ठाकुर साहब की बात तो उनको इस पूरी घटना से बड़ी तेज गुस्सा आया और एक दिन जाकर उन्होंने बैंक मैनेजर की पिटाई कर दी ! पिटाई करने पर पुलिस आ गई और ठाकुर साहब को पकड़कर जेल में बंद कर दिया गया और ठाकुर साहब का खेत मकान बेचकर बैंक ने अपने ब्याज की रकम वसूल कर ली !
समय बीत गया मैनेजर साहब का ट्रांसफर हो गये ! अब बैंक कोई एक नया मैनेजर चला रहा है ! उसकी सुरक्षा में बैंक के बाहर ही एक पुलिस चौकी बन गई है ! गांव पूरा उजड़ गया है और गांव की जमीन पर कोई दावेदार न होने के कारण दूसरे क्षेत्र के लोगों ने आकर कब्जा कर लिया है ! अब मैनेजर साहब पुनः दूसरे क्षेत्र के लोगों को लोन बांटने की तैयारी कर रहे हैं ! मैनेजर साहब पर फिर से कोई-कोई हमला न हो जाए इसलिए वह जहां भी जाते हैं, उनकी सुरक्षा में पुलिस के दो सिपाही बराबर उनके साथ जा या करते हैं !