मात्र संस्कृत भाषा हिंदुत्व का आधार नहीं है : Yogesh Mishra

यह एक चिंतन का विषय है कि भारत अनादि काल से विभिन्न भाषा और संस्कृतियों का देश रहा है ! फिर भी सभी धर्म ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही क्यों मिलते हैं ?

जबकि भारत के संदर्भ में तो यह विश्व विख्यात लोकोक्ति है कि “कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी” अर्थात भारत में अनादि काल से सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएं रही है ! जिनके अपने सामाजिक सुरक्षा के कुछ विशेष वैज्ञानिक कारण थे !

इसीलिए बहुत से विचारक जैसे कबीर दास, रहीम दास, रैदास, गोरखनाथ, गुरु नानक जी महाराज जैसे हजारों दिव्य विद्वानों ने क्षेत्रीय भाषा में ही हिंदू धर्म के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार कर के समय-समय पर लोगों को हिंदू धर्म के प्रति जागरूक किया है ! यह लोग कभी भी संस्कृत भाषा के तथाकथित विद्वान नहीं रहे हैं !

संस्कृत भाषा वास्तव में ब्राह्मणों की वैज्ञानिक भाषा थी ! इसीलिए समय-समय पर ब्राह्मणों ने अपने गुरुकुलों के छात्रों को ज्ञान देने के लिए सैकड़ों तरह के क्षेत्रीय ज्ञान को संस्कृत भाषा में अनुवादित कर विभिन्न ग्रंथों का निर्माण किया है !

इसी क्रम में संस्कृत भाषा में आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा, राजनीति, कूटनीति, धर्म नीति, राष्ट्र नीति, ज्योतिष, अध्यात्म, योग, भाषा विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान गणित आदि के ग्रंथों का निर्माण किया गया !.

और यह क्रम सैकड़ों वर्ष तक चलता रहा ! जिसमें हजारों अनुवादित संस्कृत भाषा के गुरुकुल धर्म ग्रंथों का निर्माण हुआ और गुरुकुलओ के बच्चों की संस्कृत भाषा के प्रति आस्था पैदा करने के लिए गुरुकुलओं के आचार्यों द्वारा संस्कृत भाषा को अनादि ईश्वरीय भाषा प्रचारित किया गया !

इसी वजह से हिंदुओं में यह एक भ्रम पैदा हो गया कि संस्कृत भाषा अनादि ईश्वरी भाषा है ! और संस्कृत भाषा को हिंदू धर्म की भाषा के रूप में जाना जाने लगा !

जबकि संस्कृत भाषा का हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है ! हिंदू धर्म अनादि काल से ईश्वर की सनातन व्यवस्था के अनुरूप प्रगट और विकसित हुआ है ! जिस के सिद्धांतों का निर्माण अनेकों क्षेत्रीय भाषाओं में हुआ है !

जिनमें बहुत सी भाषाएं तो अब काल के प्रवाह में विलुप्त हो गई हैं ! इसलिए संस्कृत भाषा को हिंदू धर्म से जोड़ना अव्यवहारिक प्रतीत होता है !

या दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि हिंदू धर्म का आधार सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएं रही हैं ! एक मात्र संस्कृत भाषा नहीं रही है !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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