भारतीय संविधान के अनुसार भारत के 98% राजनीतिज्ञ चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं रखते हैं ! Yogesh Mishra

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार भारत के नागरिक के मतदाता होने की कुछ निर्धारित शर्तें हैं ! जैसे कि मतदाता को 18 वर्ष से अधिक आयु का होना चाहिये ! उसे भारत का नागरिक होना चाहिये साथ ही वह पागल, अपराधी, भ्रष्ट या अवैध आचरण करने वाला नहीं होना चाहिये ! इन सभी शर्तों के अलावा एक सबसे महत्वपूर्ण शर्त है कि मतदाता को विकृत चित्त नहीं होना चाहिये !

प्राय: लोग विकृत चित्त और पागल व्यक्ति को एक ही मानते हैं ! लेख को आरंभ करने के पहले मैं पागल और विकृत व्यक्ति के मध्य क्या अंतर होता है इसे स्पष्ट करना चाहता हूं ! पागल व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जिसके अंदर किसी भी विषय को लेकर सोचने, समझने, विश्लेषण करने की क्षमता नहीं होती है ! यह मस्तिष्क संबंधी अस्वस्थता का लक्षण है ! जिसका विश्लेषण कोई भी मनोचिकित्सक बड़ी आसानी से कर सकता है और चिकित्सा के उपरांत उस व्यक्ति को ठीक भी किया जा सकता है !

लेकिन विकृत चित्त व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जिसके अंदर सोचने, समझने, विश्लेषण करने की क्षमता एक स्वस्थ व्यक्ति के समान ही होती है लेकिन वह अपने मानसिक शक्तियों का प्रयोग सदैव किसी दूसरे व्यक्ति या समाज को क्षति देने के लिए करता है ! अर्थात दूसरे शब्दों में जब कोई व्यक्ति संस्कार वश या स्वार्थ वश ऐसे कार्यों को करने लगता है, जिससे समाज या किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान होता है ! तब वह व्यक्ति विकृत चित्त व्यक्ति कहलाता है ! यह मनुष्य मानसिक रूप से बीमार नहीं होता है बल्कि संस्कार और चरित्र के अभाव में इस तरह के विनाशकारी कार्य निरंतर करता रहता है !

यह वह व्यक्ति होते हैं जिन्हें दूसरों को कष्ट देने में ही आनंद आता है ! किसी दूसरे की अच्छी चीज को नष्ट कर देने में ही इनकी सदैव रुचि होती है ! ऐसे व्यक्ति जब तक किसी अन्य को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, नैतिक, सामाजिक कष्ट नहीं देते हैं, उनको चैन नहीं मिलता है ! इनका स्वभाव प्राय: विश्वासघाती और अहंकारी होता है ! इनमें सकारात्मक संवेदनाओं का अभाव होता है और किसी अन्य व्यक्ति को दुखी देखकर इन्हें आनंद की अनुभूति होती है ! ऐसे व्यक्ति सदैव यह चाहते हैं कि समाज और अन्य व्यक्ति उनकी चाटुकारिता और प्रशंसा करते रहे और इस तरह के विकृत चित्त व्यक्ति जब कोई प्रशंसा और चाटुकारिता नहीं करता है तो वह विकृत चित्त व्यक्ति उसे अपना शत्रु मानते हुए सदैव उसके विनाश के लिए तत्पर रहते हैं !

विकृत चित्त मनुष्य की यह स्थिति उसके स्वभाव, चरित्र और संस्कार से नियंत्रित होती है ! भारत के संविधान निर्माता यह मानते थे कि यदि ऐसे व्यक्ति को मतदान करने का अधिकार दे दिया जाएगा तो इनके द्वारा निर्वाचित व्यक्ति भी इन्हीं की तरह विकृत चित्त व्यक्ति होगा और जब सदन में विकृत चित्त व्यक्तियों का अधिक्य होगा, तब देश का निरंतर विनाश होता जायेगा !

क्योंकि विकृति चित्त व्यक्ति चाटुकारिता पसंद, अहंकारी, स्वार्थी और भ्रष्ट होता है ! ऐसे व्यक्तियों के हाथ में देश की सत्ता दे देना देश के सर्वनाश का कारण बन सकती है ! इसीलिए भारत के संविधान निर्माताओं ने विशेष रूप से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 में इस तरह के व्यक्तियों को मत न देने का विशेष उपबंध किया था !

क्योंकि इस तरह का विकृत चित्त व्यक्ति सदैव समाज को धर्म, जाति, लिंग, क्षेत्र आदि के आधार पर लड़वाते रहेंगे और अपना राजनीतिक उद्देश्य पूरा करते रहेंगे ! ऐसे विकृत चित्त व्यक्ति सदैव समाज के लिए घातक होंगे ! इन्हें अपने राजनीतिक लाभ हो प्राप्त करने में राष्ट्र का सर्वनाश करने में भी कोई संकोच नहीं होगा ! इस बात का आभास हमारे संविधान निर्माताओं को था ! इसीलिए उन्होंने इन व्यक्तियों को राजनीति में न आने देने के लिये भारतीय संविधान में विशेष उपबंध किये थे !

किंतु राष्ट्र का दुर्भाग्य है कि इस पर भारत के चुनाव आयोग ने कभी कोई रुचि नहीं ली ! उसी का परिणाम है कि आज भारत के अधिकांश विकृत चित्त राजनीतिज्ञ भारत को सर्वनाश की ओर ले जा रहे हैं ! जब यह विकृत चित्त राजनीतिज्ञों को चुनाव आयोग नहीं रोकता है, तब तक यह लोग भारत के मतदाता सूची में अपना पंजीकरण करवा कर स्वयं राजनीति में सक्रिय होने का अधिकार रखते हैं !

विचार कीजिये यदि इस तरह के विकृत चित्त राजनीतिज्ञों का पंजीकरण ही भारत की मतदाता सूची में न हो तो यह लोग किस तरह चुनाव लड़ सकेंगे ! क्योंकि भारत में चुनाव लड़ने की पहली शर्त यही है कि व्यक्ति जो चुनाव लड़ने जा रहा है ! उसकी आयु 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिये ! उसे भारत का नागरिक होना चाहिये और उसे भारत के किसी भी क्षेत्र के मतदाता सूची में पंजीकरण होना चाहिये !

अर्थात राष्ट्र को यदि बचाना है तो सर्वप्रथम भारत की मतदाता सूची से इस तरह के विकृत चित्त व्यक्तियों को छांट कर अलग करना होगा ! जिससे यह व्यक्ति भारत की राजनीति में प्रवेश कर भारत का सर्वनाश न कर सकें !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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