हमें बताया जाता है कि ध्यान करते वक्त बहुत से सावधानियों की आवश्यकता होती है ! यदि व्यक्ति सावधानियों का पालन नहीं करता है तो उसका मानसिक संतुलन खराब हो सकता है ! यहां तक की कभी-कभी ध्यान प्रक्रिया में असावधानी के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है !
किन्तु “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” एक ऐसी ध्यान पध्यति है, जिसमें किसी भी सावधानी की कोई आवश्यकता नहीं है ! बस व्यक्ति का सहज हो जाना ही इस ध्यान प्रक्रिया की प्रथम और स्वाभाविक अवस्था है ! क्योंकि जब हम अस्वाभाविक अवस्था में होते हैं तो हमारे मन, इंद्रियां और ग्रंथियां में तनाव बना रहता है ! जिसका नकारात्मक परिणाम हमारे शरीर को भोगना पड़ता है ! इसी कारण हमारा आचार, विचार और व्यवहार भी नकारात्मक हो जाता है ! इसलिए “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” का पूर्ण लाभ उठाने के लिए सर्वप्रथम हमें सहज होना अति आवश्यक है !
जो व्यक्ति सहज अवस्था में जीता है उसे “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की सिद्धि के लिए बहुत अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता है ! प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार मनुष्य का शरीर प्रकृति ने इस तरह से निर्मित किया है कि मनुष्य के सहज होते ही प्रकृति की ऊर्जा स्वाभाविक रूप से मनुष्य में प्रवेश करती रहती है !
किंतु संसार में हम जब आते हैं तो सांसारिक प्रभाव के कारण हम बचपन से ही असहज अवस्था में जीने के लिए प्रशिक्षित किये जाने लगते हैं और धीरे धीरे जब हम युवा होते हैं तब तक हमें असहज अवस्था में जीने के लिए इतना प्रशिक्षित कर दिया जाता है कि हमें अपनी असहज अवस्था ही स्वाभाविक अवस्था लगने लगती है और धीरे-धीरे यही असहज अवस्था में जीने की प्रक्रिया हमारे संस्कार का हिस्सा बन जाती है !
फिर जब हम अपने शिक्षा को पूर्ण करने के बाद व्यवहारिक सांसारिक जीवन में उतरते हैं तो हम यह पाते हैं कि हम चारों तरफ समस्याओं से घिरे हुये हैं ! जबकि वास्तविकता यह है इन सारी समस्याओं को हमने स्वयं असहज अवस्था में जी कर निर्मित किया है !
“ब्रह्मास्मि क्रिया योग” हमें सहज और असहज अवस्था के मध्य अंतर करना सिखलाती है ! जब हमें यह पता चल जाता है कि हम कितनी असहज अवस्था में जी रहे हैं तो हम धीरे-धीरे अपने को सहज अवस्था में जीने के लिए प्रशिक्षित करना शुरू कर देते हैं और बहुत जल्द ही हमारा जीवन बहुत सहज हो जाता है !
और हम व्यर्थ के तनाव औपचारिकता और झंझटो से मुक्त हो जाते हैं ! हमारा जीवन बहुत ही स्वाभाविक अवस्था में चलने लगता है इसलिये यदि जीवन की सभी समस्याओं से मुक्त होना है तो “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” पद्धति द्वारा सहज साधना करके आप अपने आप को सभी सांसारिक समस्याओं से मुक्त कर सकते हैं !
हमारे शास्त्रज्ञ बतलाते हैं कि मकड़ी जिस जाले का निर्माण स्वयं करती है और कालांतर में उसी जाले में फंस कर मर जाती है ! ठीक यही स्थिती हमारे साथ भी होती है ! इसलिए यदि संस्कारों के प्रभाव में अपने बने हुए जाल मैं फंस कर यदि हम अपने आप को नष्ट नहीं करना चाहते हैं, तो हमें “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” साधना को अपनाना चाहिये और अपने जीवन को सुखी बनाना चाहिये !!