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मंत्रों के उच्चारण में स्थूल ध्वनि तरंगों का महत्व !!

मंत्रों के उच्चारण में स्थूल ध्वनि तरंगों का महत्व मंत्र शब्दों का एक खास क्रम है जो उच्चारित होने पर एक खास किस्म का स्पंदन पैदा करते हैं, जो हमें हमारे द्वारा उन स्पंदनों को ग्रहण करने की विशिष्ट क्षमता के अनुरूप ही प्रभावित करते हैं ! हमारे कान शब्दों …

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जानिए मन्त्र शक्ति से भाग्य परिवर्तित कैसे करें !

भाग्य बदलना एक बहुत बड़ी बात है, जो सामान्य लोगों के लिए संभव नहीं ,यह स्थिति गंभीर साधना के बाद आती है अथवा किसी पारलौकिक शक्ति के हस्तक्षेप के बाद ही उत्पन्न होती है ,किन्तु भाग्य में परिवर्तन लाना इससे कम कठिन काम है ! यह सामान्य मनुष्य भी कर …

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जानिए वैष्णव का क्रमिक विकास और पतन !

सतयुग काल में समस्त पृथ्वी पर शैव विचारधारा ही विकसित रूप में थी ! इसी का प्रभाव था कि महर्षि भृगु जैसे ऋषि भी भगवान विष्णु के सीने पर लात मारने का समर्थ रखते थे ! इसी समय अनेकों देव( वैष्णव ) असुर ( शैव ) संग्राम और समुद्र मंथन …

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वैष्णव की छल नीति को अपनाया है, ईसाई धर्मांतरणकारियों ने !!

ब्रह्म ज्ञान को पूरी तरह हड़प लेने के बाद वैष्णव ने इस ब्रह्म ज्ञान के सहारे समस्त पृथ्वी पर अपना प्रभाव जमाने की शुरुआत की ! उन्होंने इसके लिये तीन अलग-अलग चरणों में कार्य आरंभ किया ! पहले चरण लोगों को ब्रह्म ज्ञान से शिक्षित करने के बहाने पूरी पृथ्वी …

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जानिए पाशुपत शैव साधारण शैवों में क्या अंतर था !

पाशुपत शैव साधारण शैवों से भिन्न थे ! प्राचीन काल में मूल शैव सम्प्रदाय पाशुपत सम्प्रदाय कहलाता था ! वे शिव को ही कर्ता- धर्ता समझते थे ! इस मत के मानने वाले शिव को पति मानते थे और जीव को पशु ! शिवजी पशुओं के पति हैं ऐसा उनको …

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वैष्णव देवी स्थल पर लाल चुनरी क्यों चढ़ती है ?

लाल रंग सुहागिनों का रंग है ! देवी पुराण के अनुसार जितनी भी वैष्णव देवी हैं उन्हें लाल बहुत पसंद है और वैष्णव देवताओं को पीले रंग के वस्त्र बहुत पसंद हैं ! अत: मां को प्रसन्न करने के लिये उनका श्रृंगार इन रंग के कपड़ों से किया जाता है …

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जानिए शैव और वैष्णव सम्प्रदाय की उत्पत्ति कैसे हुई !

वैदिककाल में देव और असुरों के झगड़े के चलते धरती के अधिकतर मानव समूह दो भागों में बंट गए ! हजारों वर्षों तक इनके झगड़े के चलते ही पहले सुर और असुर नाम की दो धाराओं का धर्म प्रकट हुआ, यही आगे चलकर वैष्णव और शैव में बदल गए ! …

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शैव सम्प्रदाय का वास्तविक इतिहास जानियें ! Yogesh Mishra

गोवर्धन पीठाधीश्वर पुरी शंकराचार्य महाभाग निश्चलानंद सरस्वती जी कहते हैं वैष्णव , शैव, शाक्त ,गाणपत्य और सौर ये पांच तरह के सनातनी हैं जो कि क्रमशः विष्णु , शिव , शक्ति, गणपति और सूर्य के उपासक होते हैं ये अपने उपास्य को ईश्वर तथा अन्य चारों को देवता मानकर उनकी …

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शैव वैष्णव संघर्ष पर हमारा शोध अवश्य पढ़ें ! Yogesh Mishra

विश्व का प्रथम शैव वैष्णो संघर्ष प्रजापति दक्ष और भगवान शिव के मध्य हुआ था और अंतिम संघर्ष रावण और राम के मध्य हुआ था ! आर्य बाहर से आये नहीं थे, बल्कि भारत से बाहर जाकर बसे थे ! भारत की मूल भाषा तमिल थी और संस्कृति शैव थी …

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महाभारत के बर्बरीक की पुरी कथा !!

बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा थे ! वह भीम पुत्र घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र थे ! बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेने वाले समस्त वीरों को मार सकते थे ! जब वह युद्ध में सहायता …

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