आजकल प्रायः सभी लोग अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लेते हैं ! आजकल तो चलन में यह भी है कि “सनातन हिंदू धर्म को न मानने वाले” भी अब ज्योतिषियों से अपने भविष्य की संभावनाओं पर विचार परामर्श करने लगे हैं ! …
Read More »sanatangyanpeeth
भारत में शिक्षा का विकास या विनाश| Yogesh Mishra
हम बचपन से अंग्रेजी का एक वाक्य पढते आ रहे है “India is a developing country.” मैं आज एक स्कूल में गया तो आज भी वही वाक्य मुझे फिर सुनने को मिला, बच्चे पढ़ रहे थे “India is growing country” मुझे कुछ नया नहीं लगा ! वही वाक्य जो मैं …
Read More »वेद” अनुसार शासक को कब हटा देना चाहिये ? Yogesh Mishra
ऋग्वेद 10.173.1 !! ॠचा 2-4 के अनुसार राज्य सत्ता में एक “पुरोहित” होता था ! कोई जरुरी नहीं कि यह ब्राहमण ही हो ! पुरोहित सत्ता क्षेत्र में “प्रजा का प्रतिनिधित्व” करता था ! राजा का चुनाव होने के पश्चात यह पुरोहित नवनिर्वाचित शासक को सम्बोधित करते हुये यह कहता …
Read More »राष्ट्र के विनाश में “गद्दार हिंदुस्तानियों” की भूमिका ! Yogesh Mishra
आज का यह लेख मैं बहुत “पीड़ा” के साथ लिख रहा हूं ! मुझे इसमें कोई शक नहीं कि भारत “ऋषियों और मुनियों” की “कर्मभूमि” रहा है ! इसमें भी कोई शक नहीं के भारत उस समय “विश्व गुरु” था, जब विश्व में दूसरे देशों के लोग “भूखे और नंगे …
Read More »भारत की कृषि सुधार नीति ही किसानों के आत्महत्या का मुख्य कारण है ! Yogesh Mishra
भारत में अंग्रेजों के आने के पहले जब किसान गाय बैलों के माध्यम से कृषि करता था, तो उसके उत्पाद पूरे विश्व में बिका करते थे और पूरे विश्व का अर्जित धन “सोने” के रूप में भारत के अंदर संग्रहित होता था ! इसी वजह से पूरा विश्व भारत को …
Read More »“पुलिस प्रशासन” सामाजिक विषयों के प्रति सकारात्मक सोच क्यों नहीं रख पाते हैं ? Yogesh Mishra
“गौ भक्त संत गोपाल दास” पर हुये पुलिसिया अत्याचार को समर्पित लेख प्रायः देखा गया है कि “पुलिस प्रशासन” सामाजिक समस्याओं के निवारण हेतु सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाते हं ! इसके बहुत से कारण हैं ! इसमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कारण यह है कि वर्तमान समय में हमारे देश …
Read More »बड़े-बड़े संगठन क्यों बिखर जाते हैं ? Yogesh Mishra
जीवन में सभी संघर्षों का मूल विचारों का मतभेद है ! विचारों की उत्पत्ति संस्कारों से होती है ! संस्कार जन्म-जन्मांतर के चिंतन शैली पर आधारित हैं ! प्रकृति की यह व्यवस्था है कि कभी भी दो व्यक्तियों के संस्कार एक जैसे नहीं हो सकते ! अतः यह स्वाभाविक है …
Read More »सत्ता की जिद्द से पैदा होता है “नक्सलवाद” Yogesh Mishra
राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए साठ लाख लोगों का बलिदान देने के बाद देश का दुर्भाग्य यह रहा कि देश को आधी-अधूरी आजादी जो मिली वह भी उन लोगों के हाथ में चली गई जो न तो राष्ट्र के प्रति जरा भी संवेदनशील थे और न ही उन्हें भारत के …
Read More »“स्वच्छता अभियान” की ओट में बांग्लादेशी घुसपैठियों को स्थाई पनाह Yogesh Mishra
सभी जानते के 6 करोड़ से अधिक “बांग्लादेशी घुसपैठिये” भारत के विभिन्न शहरों में रोज सुबह घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करते हैं और उन्हें नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों पर ले जा कर फेंक देते हैं ! इन 6 करोड़ से अधिक कूड़ा इकठ्ठा करने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों पर आश्रित …
Read More »आंदोलन की ऊर्जा ही राष्ट्र को बचा सकता है !! Yogesh Mishra
जिस तरह एक सोये हुये व्यक्ति के उठने पर उसकी ताजगी के लिये उसे एक कप चाय या जल की आवश्यकता होती है ! ठीक उसी तरह एक निर्धारित अंतराल के बाद राष्ट्र को एक नई ताजगी और संचार के लिए सदैव वैचारिक आंदोलन की आवश्यकता होती है ! आज …
Read More »