ज्योतिष और ज्योतिषीय गणनाओं का आधार नवग्रह ही हैं हमारे जीवन के सभी घटकों को नवग्रह ही नियंत्रित करते हैं परन्तु ज्योतिष में “बृहस्पति” को एक विशेष स्थान प्राप्त है हमारे जीवन के महत्वपूर्ण घटकों पर तो बृहस्पति का अधिकार है ही साथ ही जीवन में होने वाली घटनाओं के …
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ज्योतिष में नये शोध की आवश्यकता क्यों है !! Yogesh Mishra
बतलाया जाता है कि ज्योतिष शास्त्रों में परम सत्य ईश्वर की वाणी संगृहीत की गई है ! हमारे ऋषि-मुनियों ने युगों तक गहन चिंतन कर इस ब्रह्मांड में उपस्थित ज्ञान के इन गूढ़ रहस्यों को संगृहीत किया और उपयोग किया था ! ज्योतिष के इन गूढ़ रहस्यों का अध्ययन कर …
Read More »आखिर आर.एस.एस. को कौन ख़त्म करना चाहता है ! Yogesh Mishra
आर. एस. एस. अर्थात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या तो संघर्ष करता है या सत्ता सुख भोगता है ! परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है ! किसी भी संगठन की उत्पत्ति संघर्ष से होती है, विस्तार सत्ता से होता है और परिणाम राष्ट्र को मिलता है ! कभी भी स्वयंसेवक को नहीं …
Read More »मंगल दोष से भयभीत मत होईये !! Yogesh Mishra
अनेक प्रकार के शुभ-अशुभ ज्योतिषीय योग गणना में बताये जाते हैं ! जिनमें मंगल दोष को लेकर समाज में भय व्याप्त है ! इस भय के कारण प्राय: बहुत अच्छे-अच्छे संबंधों को छोड़ देना पड़ता है ! इस विषय मे सनातन ज्ञानपीठ ने 15,000 से भी अधिक मांगलिक कुंडलियों पर …
Read More »वैदिक शिव और पौराणिक शिव में अंतर अवश्य पढ़ें | Yogesh Mishra
पुराणों में देवासुर संग्राम और वैष्णवों का द्वन्द्व है ! सत्ययुग में हिरण्यकश्यपु और प्रहलाद की कथा, त्रेता में रावण और राम की कथा शैव और वैष्णवों के पारस्परिक संघर्ष की सूचक है ! किन्तु पुराणों के अनुसार शिव कैलाश पर्वत पर रहता है, हिमालय की पुत्री पार्वती से पाणिग्रहण …
Read More »कुंडली का प्रथम भाव-लग्न से क्या-क्या पता चलता है ! Yogesh Mishra
ज्योतिष शास्त्र में बारह राशियों के आधार पर जन्मकुंडली के बारह भावों की रचना की गई है जिन्हें द्वाद्वश भाव कहते हैं ! आकाश मण्डल में बारह राशियों की तरह कुंडली में बारह भाव (द्वादश भाव) होते हैं ! जन्म कुंडली या जन्मांग जन्म समय की स्थिति बताती है ! …
Read More »वेद निर्देश विज्ञान भी मानता है कि नदीतट, वनों एवं पहाड़ों पर ध्यान करना लाभकारी है ! Yogesh Mishra
वैदिक ज्ञान के वैज्ञानिक सम्बन्ध का एक उदाहरण ऋग्वेद के आठवें मण्डल के उपरोक्त मन्त्रा में मिलता है जिसका अर्थ है पर्वतों के समीप एवम् झरनों तथा नदियों के संगम के पास का प्राकृतिक वातारण मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में सहायक है तथा ज्ञानवर्धन करता है ! यह एक काफी …
Read More »ध्यान की सृजनात्मक शक्ति से ही होगा नये विश्व का निर्माण !! Yogesh Mishra
हम लोगों ने दुनिया को योग का सूत्र दिया है, ध्यान का सूत्र दिया है ! ध्यान करने का मतलब है अपनी शक्ति से परिचित होना, अपनी क्षमता से परिचित होना, अपना सृजनात्मक निर्माण करना, अहिंसा की शक्ति को प्रतिष्ठापित करना ! जो आदमी अपने भीतर गहराई से नहीं देखता, …
Read More »रत्न धारण करने के अधिकांश प्रचलित सिद्धांत “विनाशकारी” हैं ! Yogesh Mishra
रत्नों पर कोई चर्चा करने के पहले “मैं” यह बतला देना चाहता हूं कि रत्नों को धारण करने का कोई भी विधान हमारे ऋषियों-मुनियों ने किसी भी “सनातन ज्योतिष ग्रंथ” में नहीं दिया है ! यह पद्धति “यूनान” से भारत आयी है और भारत में “रत्न के व्यवसायीयों और ज्योतिषियों” …
Read More »आधुनिक शिक्षा वह हथियार है जिसके द्वारा एक दिन हमारा सर्वनाश होगा ! Yogesh Mishra
प्रायः यह माना जाता है कि शिक्षा सभी समस्याओं का समाधान है ! किन्तु व्यवहारिक जगत में ऐसा नहीं है ! शिक्षा का एक मात्र उद्देश्य जो व्यावहारिक जगत में नजर आता है, वह यह है कि व्यक्ति को स्वतंत्र चिंतन की जगह नियंत्रित चिंतन की ओर ले जाना ! …
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