सभी जानते के 6 करोड़ से अधिक “बांग्लादेशी घुसपैठिये” भारत के विभिन्न शहरों में रोज सुबह घर-घर जाकर कूड़ा इकट्ठा करते हैं और उन्हें नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों पर ले जा कर फेंक देते हैं ! इन 6 करोड़ से अधिक कूड़ा इकठ्ठा करने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों पर आश्रित उनका परिवार भी उनके साथ भारत में रह कर “जनसंख्या जेहाद” में योगदान दे रहा है और हम भारतीयों के टैक्स से राशनकार्ड पर सस्ता भोजन पाकर “आस्तीन में सांप” की तरह भारत को निगल जाने का ख्वाब लेकर पल रहा है !
शहर के नगर निगम का यह दायित्व है कि वह हर मोहल्ले में कूड़े को इकट्ठा करने के लिए एक बड़ा कूड़ादान स्थापित करें, जिसमें नागरिक स्वयं अपनी जिम्मेदारी पर कूड़ा डालें किंतु भारत के “स्वछता अभियान” के तहत नगरों को कूड़ादान मुक्त करने का अभियान हर नगर निगमों द्वारा लिया गया है, तर्क यह दिया जाता है कि जगह-जगह पर कूड़ादान रखने से नगर में गंदगी हो जाती है !
विश्व के अन्य विकासशील देशों में कोई देश ऐसा नहीं है, जहां पर नगर निगम के कूड़ेदानों में नागरिक स्वयं कूड़ा नहीं डालते हों ! भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर कूड़ेदानों को शहर में स्थापित करने से गंदगी फैल जाती है ! इस गंदगी के विकल्प को समाप्त करने के लिए नगर निगम ने यह अभियान चलाया है कि घर-घर जाकर नगर निगम के कर्मचारी या अन्य संविदाकर्मी कूड़ा इकट्ठा करेंगे और उसे नगर क्षेत्र के बाहर फेकेंगे ! जिसमें बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों को पूरे देश में नियुक्त किया गया है !
संदेह पैदा होता है कि इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत के बाहर खदेड़े जाने के विषय में भी हमारी सत्ताएं मौन हैं और इन बांग्लादेशी घुसपैठियों के “आधार कार्ड” “राशन कार्ड” “पासपोर्ट” आदि भी धड़ल्ले से बनाए जा रहे हैं ! कहीं भारत में “स्वच्छता अभियान” की ओट में इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में स्थाई पनाह देने के लिए तो कोई विदेशी एजेंसी नहीं काम कर रही है और हिंदुस्तान के लोग अपने थोड़े से राजनीति या आर्थिक लाभ के लिए इन विदेशी एजेंसियों को सहयोग कर रहे हैं !
क्या भारत को कूड़ा मुक्त बनाने से ज्यादा आवश्यक यह नहीं कि “बांग्लादेशी” मुक्त बनाया जाए ?