गुप्त नवरात्रि में 3 से 10 जुलाई तक गुरु जी की साधना में व्यस्तता अधिक रहेगी !!
सामान्य गृहस्थ साधक यदि गुरू के मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना करें तो वह समस्त प्रकार के सांसारिक सुख , ऐश्वर्यशाली जीवन, मान सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, भूमि, संपत्ति हासिल कर सकता है ! ये दस महाविद्याएं हैं काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगसामुखी मातंगी और कमला है ! इन दस महाविद्याओं के तीन समूह है ! पहला सौम्य कोटि, दूसरा उग्र कोटि और तीसरा सौम्य उग्र कोटि है ! साधक अपने गुरू के मार्गदर्शन में गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी के इन स्वरूपों की साधना और इनके मंत्र का जप कर सकता है !
इस बार की आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 3 से 10 जुलाई तक रहेगी ! जो साधक या व्यक्ति किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए देवी के विशेष स्वरूप की साधना नहीं करना चाहता वह सामान्य पूजा कर सकता है !
दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रतिदिन किया जाना आवश्यक है !
दुर्गा चालीसा, देवी के मंत्रों के नियमित जाप करें !
गुप्त नवरात्रि में देवी के अलावा अन्य मंत्रों की सिद्धि भी की जा सकती है !
आपने यदि किसी गुरू से विधिवत दीक्षा ग्रहण की है और उनसे गुरू मंत्र प्राप्त किया है तो उस मंत्र का जाप करें !
देवी दुर्गा के सामान्य मंत्र ऊं दुं दुर्गायै नम: मंत्र की नौ माला प्रतिदिन जाप करें !
पूर्णत: सात्विक आचरण करते हुए यदि साधक देवी की आराधना करे तो वह जीवन की समस्त इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है !
तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए इसे महा अवसर माना गया है ! किसी एकांत गुप्त स्थान पर जाकर माता के विभिन्न स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना करनी चाहिए ! गुप्त नवारात्र में सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का 18 बार पाठ करना भी लाभदायक होता है ! गुप्त नवरात्र में जो लोग देवी मां की पूजा करते हैं उन्हें अपनी और घर की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिये !