मेरे अपने निजी अनुभव में यह आया है कि कंप्यूटर आदि कृतिम वस्तुएं जो मनुष्य के लिये सहायक हैं या जहां कहीं भी ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है ! वह सभी चीजे तंत्र से प्रभावित की जा सकती हैं ! क्योंकि उर्जा ही आखिरकार किसी मशीन के परिणाम को देने का मूल आधार है !
जैसे किसी फ्रिज को सामान ठंडा करने के लिये बनाया गया है ! तो उसके अंदर लगा हुआ कंप्रेसर, उसके अंदर भरी जाने वाली गैस आदि सब कुछ होने के बाद भी यदि उसे बिजली या ऊष्मा प्राप्त नहीं होगी तो वह फ्रिज काम नहीं करेगी !
ठीक इसी तरह किसी स्थान पर कोई मिसाइल का स्विच आदि लगा है तो उसको दबाने के बाद जब ऊर्जा का संप्रेषण एक निश्चित क्रम से उस यंत्र में होता है, तब वह मिसाइल सक्रिय होती है ! यदि कोई ऐसा विकल्प तलाश लिया जाये कि उस मिसाइल के स्विच को दबाये बिना ठीक उसी तरह से उर्जा का संप्रेषण किया जा सकता हो तो निश्चित रूप से वह मिसाइल ठीक उसी तरह कार्य करेगी जैसे कि बटन दबाने के बाद करती है अर्थात मिसाइल को चलाने के लिये यदि ऊर्जा संप्रेषण का कोई विकल्प है तो बटन को दबाये जाने की अनिवार्यता नहीं रह जाती है ! जैसे टी.वी. को बटन दबा कर भी चलाया जा सकता है और रिमोट द्वारा भी !
ठीक इसी तरह जो भी वस्तु किसी भी पदार्थ से बनी है ! उस पदार्थ के अंदर एक नियमित संख्या में परमाणु सक्रिय रूप से क्रियाशील होते हैं ! यदि उन परमाणुओं की सक्रियता के क्रम को बदल दिया जाये या उसमें किसी अतिरिक्त ऊर्जा का प्रवेश करवा दिया जाये तो वह वस्तु अपनी अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं देगी !
अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि किसी भी यंत्र को जो ऊर्जा संचालित है उस पर मनुष्य अपनी मानसिक शक्तियों का प्रयोग करके उस ऊर्जा के प्रभाव या क्रम को बदल कर यंत्र के परिणाम को बदल सकता है ! ऐसा भारत के अनेक ऋषि, मुनि, महर्षि, संतों आदि हुये हैं जिन्होंने इस तरह के अनेकों उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किये हैं !
कैंची धाम के नीम करोली बाबा को जब ट्रेन से उतार दिया गया तब रेलवे के बड़े-बड़े इंजीनियरों के लगने के बाद भी ट्रेन अपने स्थान पर स्थित जाम होकर खड़ी रही, जब तक कि स्वामी जी से माफ़ी नहीं मांग ली गई !
मैंने यहां तक देखा है कि सब कुछ सही होने के बाद किसी व्यक्ति विशेष के कमरे में आ जाने पर कंप्यूटर आदि कार्य करना बंद कर देते हैं और जब वह व्यक्ति कमरे के बाहर चला जाता है तो सारे विद्युत यंत्र ठीक उसी तरह कार्य करने लगते हैं जैसे पूर्व में कर रहे थे !
मानसिक शक्तियों से सॉफ्टवेयर द्वारा संचालित बहुत से यंत्रों के परिणामों को बदलते हुए मैंने अपने निजी अनुभवों में देखा है ! इसलिये मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि तंत्र का प्रयोग करके यंत्रों की ऊर्जा क्षमता में परिवर्तन कर परिणामों को ठीक उसी तरह बदला जा सकता है जैसे प्रकृति की व्यवस्था के परिणाम को तंत्र शक्ति से बदल दिया जाता है !
कुछ लोगों को मेरी बात इस समय हास्यास्पद लग रही होगी लेकिन बहुत से लोग जिन्होंने मेरे साथ इस तरह का अनुभव किया है वह मेरे इस लेख की गंभीरता को समझ रहे होंगे !