भारत ही नहीं पूरे विश्व में अब कुछ सत्ताओं की दादागिरी चल रही है ! उसका परिणाम यह है कि यदि कोई राष्ट्र अपने को संपन्न बनाना चाहता है ! अपने नागरिकों की ऊर्जा का सदुपयोग करना चाहता है ! अपने प्राकृतिक संसाधनों को मानवता के हित में प्रयोग करना चाहता है ! तो यह अंतर्राष्ट्रीय गुंडे उस राष्ट्र को वैसा नहीं करने देते हैं !
इसके कुछ उदाहरण में दे रहा हूं ! सबसे पहला उदाहरण आप चीन को ले लीजिये ! चीन ने अपने नागरिकों की ऊर्जा को औद्योगिक क्रांति की दिशा में लगाकर मात्र 30 साल के अंदर आर्थिक संपन्नता को प्राप्त किया ! लेकिन यह सब वैश्विक गुंडे शासकों को पसंद नहीं आया और आज एक के बाद एक चीन जैविक हमलों को झेल रहा है जिसका परिणाम यह है कि चीन की समस्त औद्योगिक उत्पाद की इकाइयां बंद पड़ी हैं ! अब पता नहीं कब चीन इस सब से उबर पायेगा !
दूसरा यदि कोई बौद्धिक व्यक्ति समाज को एक दिशा देना चाहता है और वह दिशा इन वैश्विक गुंडों की विचारधारा के विपरीत है ! तो उसकी भी योजनाबद्ध तरीके से हत्या कर दी जाती है ! सुकरात, ब्रूनो, ओशो, राजीव दीक्षित जैसे हजारों उदाहरण मिलेंगे ! जिसमें अनेकों व्यवसायी, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर्स और वैज्ञानिक भी शामिल हैं ! जिन्हें कब, कहां, कैसे खत्म कर दिया गया ! इसका कोई भी प्रमाण आज उपलब्ध नहीं है और न ही कोई व्यक्ति यह दावा कर सकता है कि इन महापुरुषों को खत्म करने वाले लोग कौन हैं !
ऐसी स्थिति में जब समाज को दिशा देने वाले बौद्धिक वर्ग के लोग अपना सर्वस्व त्याग कर विश्व के आम जनमानस को इन पैशाचिक योजनाकारों के विरुद्ध कोई दिशा देते हैं तो इन पैशाचिक योजनाकारों के द्वारा उसकी हत्या करवा दी जाती है ! यह इस मानवता के लिये बहुत बड़ी त्रासदी है !
सभी जानते हैं कि यह वैश्विक गुंडे आज अपने हथियारों, नशीले पदार्थों और दवाइयों को खपाने के लिये पूरी की पूरी दुनिया को आपस में लड़वा रहे हैं ! चाहे वह सीरिया हो या कुवैत ! अफगानिस्तान हो या ईरान या विश्व के कोई भी प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न राष्ट्र हो आज इन पैशाचिक योजनाकारों की निगाह उन पर लगी हुई है और इस कठोर सत्य को जानने के बाद भी कोई कुछ नहीं कर पा रहा है !
ऐसी स्थिति में आप स्वयं बताइये जो व्यक्ति या राष्ट्र इन पैशाचिक योजनाकारों की निगाह से बचकर अपना या राष्ट्र का विकास कैसे कर सकता है ! यही आज विश्व की सबसे बड़ी विडंबना है !
किसी भी प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न राष्ट्र के राष्ट्र प्रमुखों का चयन आज यही पैशाचिक योजनाकार करते हैं ! भले ही वहाँ पर लोकतंत्र ही क्यों न हो ! इसलिये अधिकांश बार तो ऐसा लगता है कि जैसे कोई निर्णय किसी राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष का है किंतु वास्तव में वह निर्णय इन पैशाचिक योजनाकारों की योजनाओं को लागू करवाने के लिये लिया जा रहा होता है !
जिसके लिये यह पैशाचिक योजनाकार ही यह निर्धारित करते हैं कि किसी राष्ट्र का राष्ट्राध्यक्ष कब, कौन बनेगा ! चाहे वहाँ पर लोकतंत्र ही क्यों न हो ! इसका चयन कई दशकों पहले ही कर लेते हैं और यदि इस बीच में कोई व्यक्ति इन योजनाकारों के रास्ते में अवरोध बनता है तो उसकी हत्या करवा दी जाती है या उसे किसी षड्यंत्र में फंसा कर जीवन भर के लिये जेल में डाल दिया जाता है ! ऐसी विकट परिस्थितियों में किसी राष्ट्र को इन पैशाचिक योजनाकारों की इच्छा के विरुद्ध विश्व गुरु बनने के लिये क्या करना चाहिये ! यह एक निहायत ही गंभीरता के साथ चिंतन का विषय है !!