क्या हिटलर में परकाया प्रवेश हुआ था ! : Yogesh Mishra

बहुत कम लोगों को पता है कि हिटलर असल में जर्मन का मूल निवासी था ही नहीं ! उसका जन्म जर्मनी की सीमा से सटे हुये ऑस्ट्रिया देश के इलाके में ब्राऊनाउ एम इन में 20 अप्रैल 1889 को शाम साढ़े छः बजे हुआ था !

मात्र 16 वर्ष की आयु में उसके पिता का देहांत हो गया था ! उसके 1 वर्ष बाद ही मात्र 17 वर्ष की आयु में मां की भी स्तन कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी और हिटलर अनाथ हो गया ! वह अपनी भूख मिटाने के लिये मेहनत मजदूरी और कुली आदि का काम करता था ! उसको पेंटर बनने की इच्छा थी ! इसलिये वह खाली समय में ग्रीटिंग कार्ड की पेंटिंग का भी कार्य किया करता था !

इसी बीच 1914 में ब्रिटेन ने अपने साम्राज्य विस्तार के लिये जर्मन के खिलाफ प्रथम विश्वयुद्ध छेड़ दिया और तब जर्मन में मिलिट्री की भर्ती के दौरान हिटलर भी उस युद्ध में बतौर सैनिक भर्ती हो गया और जर्मनी की ओर से उसने प्रथम विश्वयुद्ध भी पूरी बहादुरी के साथ लड़ा ! हिटलर एक देशभक्त, बहादुर और सम्मानित सैनिक था ! जर्मन सरकार द्वारा उसे प्रथम विश्वयुद्ध में दो बार आयरन क्रॉस व एक बार ‘ब्लैक वुण्ड बैज से सम्मानित किया गया था !

युद्ध के दौरान हिटलर दो बार बुरी तरह से जख्मी भी हुआ था ! पहली बार ग्रेनेड बम के धमाके से और दूसरी बार जहरीली गैस की चपेट में आने से वह अंधा हो गया और उसकी लगभग मृत्यु हो गयी थी ! लेकिन अगले दिन सुबह वह पुनः जीवित हो गया !

इसी बीच उसके साथ उस रात अचानक आश्चर्यजनक घटना घटी ! उसे लगा कि वह अपने अस्पताल के बेड पर अंधा लेटा हुआ है ! उसने यह भी महसूस किया कि उसकी आत्मा शरीर छोड़कर बाहर जा रही है ! थोड़ी देर बाद उसके शरीर से निकली हुई आत्मा ने यह देखा कि एक अन्य दिव्य आत्मा जिसके सिर पर पर कोई बाल नहीं है ! वह हिटलर के शरीर के बगल में खड़ी हुयी है ! कुछ ही सेकंड बाद वह हिटलर की आत्मा के साथ उसके शरीर में प्रवेश कर गई और हिटलर जाग गया ! उसने सोचा कि शायद युद्ध के नकारात्मक वातावरण के कारण इस तरह के डरावने सपने आ रहे हैं !

लेकिन ताज्जुब की बात यह थी कि इस घटना के अगले दिन से ही हिटलर के स्वास्थ्य में बहुत तेजी से सुधार शुरू हो गया और हिटलर जो लगभग पूरी तरह अंधा हो चुका था ! उसे पूरी तरह स्पष्ट दिखाई देने लगा और फिर हिटलर को जीवन में कभी चश्मे की आवश्यकता नहीं पड़ी !

अब उस दिव्य आत्मा के प्रवेश की अनुभूति के बाद हिटलर वह पुराना हिटलर नहीं बचा था ! जो कि प्रथम विश्व युद्ध के समय था ! अब उसके मन में जर्मन के हारने का बहुत बड़ा आक्रोश था ! उसके साथ ही अचानक उसके साथ ऐसी ऐसी घटनायें घटने लगी ! जो सामान्यतया होना संभव नहीं था !

इस घटना के बाद उसने जीवन में कभी भी मांसाहार नहीं खाया और न ही नशीले पदार्थ का सेवन किया ! यहां तक कि उसने सिगरेट भी छोड़ दी ! उसका मन सदैव भारत के दिव्य ज्ञान की तलाश में लगा रहता था ! वह अंग्रेजों द्वारा लूटे गये भारत के पांडुलिपियों को जो उस समय जर्मन में ट्रांसलेशन करवाने के लिये भेजे गये थे ! उन्हें मंगा मंगा कर पढ़ता था और उसे यह लगता था कि उसके भविष्य का रास्ता बस इन्हीं भारतीय धर्म ग्रंथों में छिपा है ! तो शास्त्रीय ज्ञान बाद में जर्मन के आधुनिकतम हथियार और युद्ध विमान बनाने में काम आये !

हिटलर ने सनातन धर्म के सात्विक चिन्ह “स्वास्तिक” को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह घोषित किया था और वह नित्य प्रातः स्वास्तिक की त्राटक साधना किया करता था ! उसके कमरे में बस एक चारपाई, एक अलमारी, 2 जोड़ी कपड़े, पढ़ने के लिये एक मेज कुर्सी और उसकी मां के चित्र के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता था !

वह नित्य प्रात: उठकर गायत्री मंत्र का जप करता था और अपने तीन कुत्तों को भोजन वह खुद अपने हाथ से देता था ! पूछने पर वह हंसकर कहता था कि यह भगवान शिव और भैरव बाबा हैं ! इन्हें खुश रखना चाहिये ! वह नित्य स्नान और उपासना करता था !

साधना के समय उसे अहसास होता था कि जैसे ब्रिटिश गवर्नमेंट और जर्मन सरकार की अंतरंग बातें उसे सुनाई दे रही हैं ! जो बातें बाद में प्राय: सही निकलती थी ! जिसके तहत जर्मन सरकार जर्मन को ब्रिटिश साम्राज्य के सामने गुप्त रूप से गुलामी की जंजीरों में जकड़ रही थी ! वह सारी चीजें हिटलर को स्वप्न में दिखाई और सुनाई देने लगी !

हिटलर को ऐसा एहसास होने लगा कि वह बहुत पढ़ा लिखा हो ! शिक्षित व्यक्ति हो ! उसको कई भाषाओं को सुनने समझने का ज्ञान हो और वह उन सारी चीजों को पढ़ समझ सकता है ! जिसको उसने आज तक जीवन में कभी देखा सुना भी नहीं था ! अब इस घटना क्र बाद हिटलर की आवाज एकदम बदल चुकी थी !

हिटलर के इस एहसास ने उसके अंदर प्रबल आत्मविश्वास पैदा कर दिया और उसने एक निष्क्रिय पड़ी हुई राजनीतिक पार्टी जिसे एक डुप्लीकेट चाबी बनाने वाला व्यक्ति चलाता था ! उस नाजी पार्टी को ज्वाइन कर लिया और अपने प्रभावशाली भाषणों से बहुत ही कम समय में उस नाजी पार्टी का विस्तार कर लिया !

वह अपने भाषणों में वह सत्य पहले ही बोल देता था ! जो समाज को भविष्य में पता चलता था ! या किसी को मालूम नहीं होता था लेकिन उसे वह सत्य कैसे पता चलता था ! यह आज भी शोध का विषय है ! किंतु हिटलर का कहना था कि कोई दिव्य शक्ति उसे इस तरह की सारी सूचनायें देती थी !

बचपन में एक बार हिटलर तालाब में डूब गया था ! तब उसकी जान एक पादरी ने बचाई थी ! इस घटना के बाद से ही हिटलर की भगवान में आस्था बढ़ती चली गयी !

1921 के दशक के शुरुआती सालों में नाज़ी आन्दोलन ने खूब ज़ोर पकड़ा ! जब प्रथम विश्वयुद्ध से सेवानिवृत्त गुस्साये युवाओं ने वर्साय की संधि, वाइमर गणराज्य तथा प्रजातंत्र को मानने से इन्कार कर दिया था ! उन्होंने आर्य कुलवंश के पुनरुत्थान की मांग की और जर्मनी के सारे कष्टों का दोषी यहूदियों को ठहराया ! उन्होंने बहुत ही प्रभावशाली मतप्रचार से लोगों को यह बतलाया कि प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार का कारण उसकी सेना नहीं बल्कि यहूदी, साम्यवादी तथा अन्य विनाशक शक्तियाँ थीं ! जो देश के असैनिक वर्ग में मौजूद थीं !

नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी या नाजी पार्टी/ नात्सी पार्टी जर्मनी में 1921 से 1945 तक एक राजनीतिक पार्टी थी ! प्रथम विश्व युद्ध के बाद यह पार्टी जर्मनी में नस्लवाद और कम्युनिस्ट विरोधी आंदोलन में निहित थी !

यह 1920 में स्थापित हुई, और 1921 में एडॉल्फ हिटलर ने इस पार्टी का नियंत्रण सम्भाल लिया ! पहला विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की बेरोजगारी, हीनता और यहूदी – विरोधी भावनाएँ उफान पर आ रहीं थीं, जिनपर राजनीति करके 1930 तक नाजी पार्टी जर्मनी में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई ! 1933 में हिटलर को जर्मन चांसलर घोषित किया गया !

इसके बाद, हिटलर और उसके नाजी समर्थकों ने जर्मनी में अन्य सभी राजनीतिक दलों को बर्खास्त कर दिया और राजनीतिक विरोधियों को जेल भेज दिया या उन्हें मार डाला ! उसी वर्ष वाइमर गणराज्य का विलय करके नाजी जर्मनी का गठन हुआ और इस राष्ट्र का पूरा क़ब्ज़ा नाजी पार्टी के हाथों में आ गया ! हिटलर ने जर्मनी की बेहद ख़राब आर्थिक हालत को कुछ ही वर्षों में सुधार दिया !

22 जून 1941 को हिटलर ने अपनी अंतरात्मा की आवाज के विरुद्ध रूस पर आक्रमण कर दिया और उसकी अंतरात्मा बार-बार उससे यह कह रही थी कि इस युद्ध से उसका सर्वनाश होगा ! लेकिन उसने नहीं माना ! अन्तः 22 जुलाई 1941 को हिटलर ने रात्रि में एक सपना देखा कि आज से 20 वर्ष पूर्व जो आत्मा हिटलर के शरीर में प्रवेश कर गई थी ! वह हिटलर का शरीर छोड़कर बाहर निकलती है और उससे कहती है कि मेरा उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य का सर्वनाश था ! जो मुझे मिल गया ! लेकिन यदि तुम हठधर्मिता से आगे भी युद्ध करना चाहते हो तो मैं तुम्हारा साथ नहीं दे पाऊंगा और यह कहते हुये कुछ सेकंड बाद वह आत्मा विलीन हो गई !

और यह सत्य है कि 22 जुलाई 1941 से ही हिटलर का पतन शुरू हो गया ! उसने मात्र रूस की लड़ाई ही नहीं हारी बल्कि धीरे-धीरे उसके द्वारा जीता गया समस्त साम्राज्य भी उसके हाँथ से निकल गया ! और अन्तः हार मानकर जर्मन को दो हिस्से में बंटना पड़ा !

उपरोक्त समस्त घटनाओं को यदि एक क्रम से देखा जाये तो इसे भारतीय आध्यात्मिक विज्ञान में सीधा सीधा दिव्य आत्मा का परकाया प्रवेश कहेंगे ! जो भारत के ऋषियों, मुनियों तपस्वियों के लिये बहुत सामान्य सी प्रक्रिया है ! इसके अनेकों उदाहरण हमारे शास्त्रों में मौजूद हैं !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

अडॉल्फ हिटलर बर्लिन मरा नहीं बल्कि अर्जेंटीना चला गया था ! : Yogesh Mishra

जर्मनी के नाजी तानाशाह अडॉल्फ हिटलर की मौत पर हमेशा से ही विवाद रहा है …