आजकल की युवा पीढ़ी बहुत दुविधा में फंसी है ! एक तरफ तो शिक्षक कहते हैं कि परिश्रम से धन मिलता है और दूसरी तरफ धर्मगुरु कहते हैं कि गणेश लक्ष्मी की पूजा से धन मिलता है !
और इसके लिए तरह-तरह के स्त्रोत, चालीसा, अनुष्ठान, मंत्र आदि का धर्म गुरुओं ने निर्माण कर दिया है !
व्यक्ति के पास मात्र 24 घंटे हैं ! जिसमें उसे अपना दैनिक जीवन निर्वाह भी करना है और पैसे कमाने के लिए रोजी रोजगार भी करना है !
अब व्यक्ति की समझ में यह नहीं आ रहा है कि मैं धर्म गुरुओं की बात को मान कर पूजा-पाठ, अनुष्ठान स्त्रोत चालीसा में समय लगाऊं या फिर अच्छी बिजनेस प्लानिंग करके परिश्रम द्वारा धन कमाने में समय लगाऊँ !
जबकि स्पष्ट रूप से पूरी दुनिया को देखने पर ऐसा पता चलता है कि दुनिया में जितने बड़े धनाढ्य लोग हैं, उनमें यदि हिंदुओं को छोड़ दिया जाए, तो कोई भी गणेश लक्ष्मी की पूजा नहीं करता है !
बल्कि सच्चाई तो यह है कि गणेश लक्ष्मी की पूजा करने वाले लोग इन्हीं धनाड्य लोगों के यहां दो वक्त की रोटी के लिए नौकरी कर रहे हैं !
अब प्रश्न यह है कि यदि गणेश लक्ष्मी की पूजा से धन आ रहा है तो फिर यह तथाकथित पढ़े लिखे बुद्धिजीवी अपने जीवन निर्वाह के लिए ऐसे व्यक्तियों के यहां नौकरी क्यों कर रहे हैं जो गणेश लक्ष्मी की पूजा भी नहीं करते
हैं !
अत: इससे स्पष्ट है कि पूजा का धन आगमन से कोई संबंध नहीं है !
धन कमाना एक युक्ति है, एक कला है ! जिसे नीति और परिश्रम से प्राप्त किया जा सकता है !
इसलिए मैं युवा पीढ़ी को यह संदेश देना चाहता हूं कि नित्य पूजा पाठ पर्याप्त है ! बचे हुए शेष समय में अपने व्यापार, व्यवसाय को नीतिगत तरीके से बढ़ाते हुए धन कमाने पर ध्यान दीजिए क्योंकि धन परिश्रम और कुशल नीति से प्राप्त होता है !
कोई भी भगवान आपको बिना परिश्रम और नीति के पैसा नहीं दे सकता ! इसलिए धनवान बनना है तो धन प्राप्ति का धार्मिक आडंबर छोड़ कर सही दिशा में कार्य करना होगा !!