कोरोना महामारी नहीं बल्कि विश्व सत्ता का जनसंख्या नियंत्रण अभियान है : Yogesh Mishra

आज भारत तृतीय विश्व युद्ध के जैविक हमले की चपेट में है ! शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जिसमें कोई न कोई व्यक्ति करोना से प्रभावित न हुआ हो ! अधिकांश परिवार तो ऐसे भी हैं जिनके यहाँ करोना से लोगों की मृत्यु भी हो गई है ! किंतु क्या हमने कभी विचार किया कि करोना के कारण होने वाली मृत्यु का मूल कारण हमारी नासमझी ही है ! सच मानिये कि करोना की नई-नई घातक लहर हमारे स्वार्थ और बौद्धिक निष्क्रियता से आ रही है !

स्पष्ट रूप से यह जान लीजिये कि हमारे शरीर के अंदर हर तरह के रोगों से लड़ने की स्वाभाविक क्षमता होती है ! विशेष परिस्थितियों में यदि शरीर किसी रोग से लड़ने की स्थिति में नहीं है ! तो वहां पर आयुर्वेद की शक्ति का समर्थन प्रदान करके व्यक्ति के रोगों से लड़ने की क्षमता को विकसित किया जाता है ! जो स्वाभाविक ओर प्राकृतिक चिकित्सा पद्ध्यती है !

किंतु भारत का यह दुर्भाग्य है कि भारत में जितना पैसा एलोपैथी की चिकित्सा पद्धति के विकास पर सरकार द्वारा खर्च जाता है ! उसका 10% पैसा भी भारत की सनातन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के लिये खर्च नहीं जाता है ! बल्कि कोरोना का समाज में भय व्याप्त करने के लिये सरकार द्वारा विज्ञापनों पर खर्च किया जाता है !

इसका मूल कारण यह है कि दवाई और एलोपैथी चिकित्सा के संयंत्र बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां हमारे राजनीतिक दलों को अपने लाभ के अंश से बहुत बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं ! अत: इन एलोपैथी कंपनियों को राजनीतिक दलों का सहयोग व आशीर्वाद प्राप्त रहता है ! इसी कारण तीन रूपये की दवा तीन हजार की बाजार में बिकती है !

उसी का परिणाम है कि दिनदहाड़े अस्पतालों के नाम पर आधी अधूरी या गलत चिकित्सा करके लोगों की खुले आम हत्या की जा रही है और शासन सत्ता चुप है ! हाईकोर्ट भी इसे सामूहिक नरसंघार घोषित कर रहा है ! जो चिकित्सक संवेदनशील हैं वह या तो नौकरी छोड़ दे रहे हैं या फिर आत्महत्या कर ले रहे हैं !

हम निष्क्रिय हैं या कहिये कि हम अज्ञानी हैं ! हमें नहीं पता कि हमारे परिवार में जो मृत्यु हुई उसका वास्तविक कारण क्या था और न ही हम उसे गहराई से जानने की कोशिश करते हैं ! जो लोग जान भी लेते हैं वह शासन प्रशासन के भय से समाज के सामने उस सत्यता को नहीं लाना चाहते हैं ! इसमें कुछ लोगों का कहीं स्वार्थ छिपा है तो कुछ लोग भयवश अपनी बात समाज में नहीं कहते हैं !

लेकिन कार्य ऐसे नहीं चलेगा क्योंकि यदि हम भय और संकोच के कारण अपनी बात समाज में नहीं रखेंगे तो विश्व सत्ता के इशारे पर जो जनसंख्या नियंत्रण का अभियान चल रहा है ! वह चलता रहेगा और भारत के अंदर बहुत बड़ी महामारी को क्रमबद्ध तरीके से नए-नए कोरोना वायरस के नाम से प्रचारित प्रसारित करता रहेगा !

अब प्रश्न यह है कि क्या भारत के अंदर 20 लाख से अधिक डॉक्टर और दो लाख से अधिक वैज्ञानिक बुद्धिहीन और नपुंसक है ! जो इस तथाकथित करोना जैसी बीमारी का इलाज नहीं ढूंढ पा रहे हैं ! इसका सीधा जवाब है नहीं !

क्योंकि जो लोग सरकारी नौकरी में डाक्टर हैं वह सरकार की गाइड लाइन से बाहर जाकर कार्य नहीं कर सकते और जो लोग सरकारी नौकरी में नहीं है वह यह मानते हैं कि उन्हें एक गोल्डन अपॉर्चुनिटी मिली है बड़े आदमी बनने की ! इसलिए वह लोग इस सरकारी गाइडलाइन की ओट में सरेआम हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में कोरोना के इलाज के नाम पर जनता की जमा पूंजी हड़प कर लोगों की हत्या कर रहे हैं !

इस पर राष्ट्रहित में एक बड़ी बहस होनी चाहिये ! जिसमें चिकित्सक, वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी, अधिवक्ता, न्यायमूर्ति, शिक्षक आदि को सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिये और उस सत्य को समाज के सामने रखना चाहिये ! वह सत्य जो आज विश्व सत्ता के इशारे पर समाज की हत्या का कारण बन रहा है !

यही आज आत्मरक्षा के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है ! इसमें हम जितना विलंब करेंगे ! उतना हम कमजोर होते चले जायेंगे !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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