भारत की आजादी के समय भारत जो एक हिंदू पहचान का “हिंदू घोषित राज्य” था, वह वर्ष 1976 में भारतीय संविधान के 42वें संशोधन के द्वारा “भारतीय संविधान की उद्देशिका” में “सेकुलर” शब्द जोड़ कर भारत को “सेकुलर अर्थात धर्मनिरपेक्ष राज्य” घोषित कर दिया गया |
कोई भी राज्य तो “धर्मनिरपेक्ष” हो सकता है किंतु राज्य का नागरिक कभी भी “धर्मनिरपेक्ष” नहीं हो सकता | यदि राज्य का नागरिक धर्मनिरपेक्ष होता है तो उसके लिए “सेकुलर” शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि उसके लिए “नास्तिक” शब्द का प्रयोग किया है |
किन्तु फिर भी आजकल “सेकुलर” शब्द का प्रयोग अब आम चलन का विषय हो गया है | मैंने अपने जीवन में यह अनुभव किया है कि इस “सेकुलर” शब्द का प्रयोग प्रायः 5 तरह के व्यक्ति करते हैं |
पहला राजनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो राजनीति में सीधा दखल रखते हैं उन्हें सभी से वोट लेना है अतः वह “सेकुलर” हो जाते हैं |
दूसरा व्यवसायी : वह व्यक्ति जो व्यवसाय करते हैं उन्हें सभी के साथ मिल कर धन्धा करना होता है अर्थात यदि वह धर्म के प्रति ज्यादा कठोर होंगे तो उन्हें अपने व्यवसाय को करने में तरह-तरह के अवरोधों का सामना करना पड़ेगा | अतः वह “सेकुलर” हो जाते हैं |
तीसरा सरकारी कर्मचारी : शासन-सत्ता की नौकरी करने वाले भी “सेकुलर” शब्द का प्रयोग करते हैं क्योंकि शासन सत्ता की चाकरी करते करते उनकी अंतरात्मा इस स्तर तक खो जाती है कि वह अपने घर में भगवान के आगे दिया जलाने और घंटी बजाने तक ही अपने को धार्मिक मानते हैं | इसके आगे वह किसी भी तरह के धर्म के पचड़े में नहीं पड़ना चाहते |
चौथे समाज के अवसरवादी लोग : यह वह लोग हैं जिसे समाज में “अपॉर्चुनिटी क्लास” कहा गया है | जो समाज के अंदर धर्म के नाम पर बस सिर्फ अपना लाभ बटोरते रहते हैं | वह किसी भी धर्म के प्रति वफादार नहीं होते बल्कि शासन-सत्ता की हवा जिस धर्म के लोगो को लुभाने ओर होती है यह लोग भी उसी शासन सत्ता के अनुसार धर्म का अनुसरण कर लेते हैं |
पांचवा प्रकार : यह वर्ग सबसे दिलचस्प होता है इसलिए इस पर विस्तार से लिखने की जरूरत है क्योंकि यह वर्ग ऊपर से तो विशुद्ध हिंदू दिखते हैं, किंतु अंदर से हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा खतरा होते हैं | इसका कारण यह है कि अय्याशी और गद्दारी उनके खून में होती है |
इस पर गंभीर शोध करने के बाद यह पता चला है कि मुगल बादशाह बाबर से लेकर औरंगजेब तक सभी के अपने निजी “ हरम” (अय्याशी के अड्डे ) हुआ करते थे और इनमें हर समय तीन से पाँच हजार महिलाएं बलपूर्वक या स्वेच्छा से इन बादशाह सलामत की अय्याशी के लिए रखी जाती थी | बादशाह सलामत की अय्याशी के कारण जब यह महिलाएं गर्भवती हो जाती थी तो इन्हें बादशाह सलामत अपने दरबार के दरबारियों को तोहफे के तौर पर बाँट देते थे |
इस तरह बादशाह सलामत के दरबार में रहने वाले नौकरों,कर्मचरियों व दरबारीयों को बादशाह सलामत की ओर से हजारों गर्भवती औरतें पुरस्कारों या तोहफे में दे दी जाती थी |(हरम मे गर्भवती हुई औरतों के बच्चों को हरम शब्द के कारण ही हारामी कहा जाता है) इन पुरस्कारों और तोहफे में दी गई औरतों से प्राप्त होने वाली संतानें निसंदेह उन हिंदू परिवारों की संतानें मानी जाती थी, जिन्होंने इस तरह के पुरस्कार या तोहफे मुग़ल बादशाहों से प्राप्त किये थे किंतु उन संतानों के अंदर बहने वाला रक्त निश्चित तौर से राष्ट्रद्रोही, संस्कार विहीन, गैर जिम्मेदार, हिन्दू धर्म विरोधी होता था | उन्हीं के वंशज आज जिन जगहों पर हैं वह सब “सेकुलर लोग देश” के लिए एक सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं |
उन्हें ही आज सर्जिकल स्ट्राइक जैसे विषयों पर प्रमाण की आवश्यकता महसूस हो रही है |
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (J.N.U.) में “भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह” के नारे लगाने वाले भी इसी नस्ल के सेकुलर हैं |
सत्ता में बने रहने के लिए विदेशी नस्ल की महिलाओं की आधीनता स्वीकार करते हुए शासन सत्ता का सुख भोगने वाले भी इसी नस्ल के सेकुलर हैं |
गौ हत्या का समर्थन करने वाले या गोमांस की दावत देने वाले लोग तथा गौरक्षकों को फर्जी बताने वाली भी इसी वर्ग के सेकुलर हैं |
दीपावली, आदि हिन्दू त्योहारों पर पटाखों आदि से वातावरण प्रदूषित होने का उपदेश देने वाले ,तथा ईद पर लाखों मासूम जानवरों के लहू बहने पर चुप होने वाले भी इसी वर्ग के सेकुलर हैं |
अकबर जैसे लुटेरे मुगल को महान बताने वाले , तथा शिवाजी ,महाराणा प्रताप जैसे वीर पुरुषों को पथभ्रष्ट बताने वाले भी इसी वर्ग के सेकुलर हैं |
जो कहते है , अयोध्या में राममंदिर के स्थान पर कालेज ,या स्कूल बना दो ये भी उसी वर्ग के सेकुलर है ,
देश की रक्षा के लिए राष्ट्र की सीमा पर जान देने वाले सैनिकों के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाने वाले या उनका उपहास करने वाले भी इसी नस्ल के सेकुलर हैं |
भारतीय देव मंदिरों में हिन्दू संपत्ति ( सोने ) पर निगाह रखने वाले भी इसी नस्ल के खतरनाक सेकुलर हैं |
एक समय स्कूलों मे छोटे बच्चों को ‘क’ से कबूतर, ‘ख’ से खरगोश और ‘ग’ से गणेश पढ़ाया जाता था ,’ग’ से गणेश सुनते ही इसी वर्ग के सेकुलर लोगों के स्थान विशेष में आग लग गई , और ये चिल्लाने लगे , अरे ! गणेश तो हिन्दुओ के देवता है , गणेश तो समप्रदायिक है ‘ग’ से गणेश हटाओं और इसकी जगह “ग” से गधा पढ़ाओ , क्योंकि की गधा धर्मनिरपेक्ष है ,सच ही कहा था इन्होने कि ”गधा” धर्मनिरपेक्ष है और धर्म निरपेक्षतावादी ‘गधे’ हैं , 😛अकबर जैसों के हरम से जन्मे इसी नस्ल के खतरनाक सेकुलर,कुछ समय बाद मरने से पूर्व अपनी वसीयत मे लिख कर जाएंगे ,कि मरने के बाद जब उनकी अर्थी जाए तो ”राम नाम सत्य” न बोला जाए क्योंकि राम हिन्दुओ के देवता है बल्कि उसके स्थान पर इनके पूर्वज ‘अकबर नाम सत्य,बाबर नाम सत्य बोला’ जाये ।