नेहरु कैसे आनंद भवन के मालिक बने जानिये वास्तविक सत्य ! Yogesh Mishra

गियासुदीन गाजी असल में एक सुन्नी मुसलमान थे 1857 की क्रांति से पहले आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुरशाह जफर के साम्राज्य में शहर कोतवाल हुआ करते थे और 1857 की क्रांति के बाद, जब अंग्रेजों का भारत पर अच्छे से कब्ज़ा हो गया तो अंग्रेजों ने मुगलों का क़त्ल-ए-आम शुरू कर दिया !

ब्रिटिशर्स ने मुगलों का कोई भी दावेदार न रह जाये, इसके लिए बहुत खोज करके सभी मुगल बादशाह के उत्तराधिकारियों तथा मुगल अधिकारियों का सफाया किया ! इसी बात से डरकर गियासुदीन गाजी ने दिल्ली छोड़ दी अपना हिन्दू नाम गंगाधर रख लिया और नहर के साथ रहने के कारण अपना उपनाम नेहरु रख लिया | नेहरू ने स्वयं अपनी आत्मकथा में लिखा है कि आगरा जाते समय उनके दादा गंगा धर को अंग्रेजों ने रोक कर पूछताछ की थी। लेकिन तब उन्होंने कहा था कि वे मुसलमान नहीं हैं बल्कि कश्मीरी पण्डित हैं तो अंग्रेजों ने उन्हें आगरा जाने दिया। इन्ही के बेटे का नाम मोती लाल नेहरू था |

मोती लाल नेहरू अधिक पढे लिखे व्यक्ति नहीं थे . कम उम्र में विवाह के बाद जीविका की खोज में वह इलाहबाद आ गये थे. उसके बसने का स्थान मीरगंज था, जहाँ तुर्क और मुग़ल अपहृत हिन्दू महिलाओं को अपने मनोरंजन के लिए रखते थे. मोतीलाल नेहरू तीसरी पत्नी के साथ जीविका चलने के लिए वेश्यालय में शाम को हुक्का पेशी का कार्य करने लगे . वहीं इनका परिचय उच्च न्यायलय में एक प्रसिद्द वकील मुबारक अली से हुआ जिन्होंने दिन के समय मोतीलाल नेहरू से कचहरी में मुख्तार का काम लेना शुरू कर दिया |

इस प्रकार मोतीलाल के सम्बन्ध मुबारक अली से बन गए. इसी बीच इटावा की विधवा रानी की रियासत अंग्रेजों ने जप्त कर ली | उन्होंने मुबारक अली अपना वकील नियुक्त किया और मोती लाल नेहरू को मुख़तार दोनों ने मिल कर उसका राज्य वापस दिलाने के लिए उन्हें जमकर लूटा. उस समय लगभग १० लाख की फीस ली. यही से मोतीलाल की किस्मत बदल गयी .
उपरोक्त मुकदमा जीतने पर इटावा की महारानी ने  मुबारक अली को इलाहाबाद में स्थित आवास इरशाद मंजिल उन्हें भेंट में लिख दिया और मुबारक अली तथा मोती लाल नेहरु उसमें रहने लगे कुछ समय बाद मुबारक अली सपरिवार ब्रिटेन चले गए और रख-रखाव के लिए इरशाद मंजिल की व्यवस्था मोतीलाल नेहरू को दे गए | कुछ समय बाद जब मुबारक अली की इंग्लैंड में मृत्यु हो गई तो मोतीलाल नेहरू ने इरशाद मंजिल पर कब्ज़ा करके उसका नाम आनंद भवन रख लिया इस तरह आनंद भवन नेहरू परिवार की संपत्ति हो गई !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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