मुसलमानों में दो प्रकार के विवाहों की व्यवस्था है – 1. निकाह “स्थायी विवाह” और 2. मुताह निकाह “अस्थायी विवाह” । साथियो क्या आप जानते हैँ “मुताह निकाह” क्या होता है?“मुताह निकाह” एक तरह का फौरी विवाह है, इसमें पैसा देकर कुछ समय के लिए किसी महिला से “अस्थाई विवाह” कर शाररिक संबंध बनाया जा सकता है | यह अति संवेदनशील धार्मिक भावनाओँ वाले लोगोँ मेँ प्रचलित एक अति विशिष्ट “विवाह” पद्धति है।
इस “अति विशिष्ट विवाह” की अवधि पहले से तय होती है, जो आमतौर पर एक या कुछ रातेँ होती हैं | और इस निकाह मेँ शौहर अपनी बेगम को ठीक वैसे ही रुपए देता है जैसे किसी वेश्या को उसके ग्राहक देते हैँ और जब मुताह निकाह की पहले से तय अवधि समाप्त हो जाती है तो उसके पश्चात उस लङकी का अपने शौहर से कोई रिश्ता नहीँ रह जाता है । अरब के बहुत से पैसे वाले शेख भारत के हैदराबाद और मुंबई आदि क्षेत्र मेँ मात्र अय्याशी करने के लिये “मुताह निकाह” करने आते हैँ और वे लोग जिनकी धार्मिक भावनाएँ “वंदेमातरम गाने” से आहत होती हैं, वह पैसे लेकर अपनी लङकियोँ का “मुताह निकाह” अरब के शेखोँ से कराते हैँ और उनकी अय्याशी का पूरा इंतजाम करते हैं |
इसमें तो जब एक बार कोई लड़की फंस जाती है तो उसकी शादी कभी नहीं होती, फिर उसे “मुताही” बोलते हैं. जैसे-जैसे उसकी जवानी ढलती है, उसके पैसे घटते जाते हैं | यहां तक होता है कि कई औरतों को सिर्फ खाने-कपड़े पर रखा जाता है, उनका यौन शोषण किया जाता है और यौन शोषण के साथ –साथ वह नौकरानी की तरह घर का काम भी करती हैं | यह एक तरह की इस्लामी कानून में मान्यता प्राप्त वेश्यावृत्ति है | इसमें मौलवी भी खबर रखते हैं कि किसके घर की लड़की सयानी हो गई है | मौलवी इसमें मोटी रकम लेकर बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं और इसके परिणाम सिर्फ मुसलिम महिलाओं को झेलने पड़ते हैं |
वैसे आये दिन ये लोग हिंदुओं पर टीका-टिप्पणी करते रहते है,कि हिन्दू धर्म में ऐसा है वैसा है ,छोटी-छोटी बातों पर इनकी धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती है कभी इन्हे हमारी रथ यात्राओं से तकलीफ होने लगती है ,और कभी ये गणेश उत्सव पर मूर्तियाँ हटवाने की बात करते है , अलल्हा को प्रसन्न करने के लिए ईद पर लाखों निर्दोष बेजुबान जानवरों की ह्त्या करने को ये अपने धर्म का अंग बताते हैं,वहाँ इनकी भावनाएं आहत नहीं होती , और अकबर,बाबर जैसों के हरम मे जन्मे कुछ सेकुलर लोग नारी सशक्तिकरण के नाम पर हिन्दुओ को बदनाम करने और जतियों में बांटने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ते है ,आये दिन ये सेकुलर शोर मचाते फिरेंगे कि दलित महिला से यहाँ बलत्कार हो गया वहाँ बलत्कार हो गया । लेकिन इन हा**मी (हरम में पैदा हुये)
सेकुलरों को इस्लाम में ‘मुताह निकाह’ के नाम पर मुस्लिम महिलाओं से होता शोषण कहीं दिखाईं नहीं देता ।