ग्रह शांति के सरल उपाय क्या -क्या हैं ?
रत्नों के अतिरिक्त ग्रहों के वैदिक एवं तांत्रिक मंत्रो का जप, ग्रहों का विशिष्ठ एवं सामान्य दान ,
औषधीय स्नान , यन्त्र धारण, ग्रहों का देवताओ से सम्बंधित अधि देवता, प्रत्यधि देवता की उपासना,
ग्रहों की समिधाये, त्रिसक्ति मुद्रिका, वनस्पति जड़ी बूटी मूल धारण, ग्रहों का हवन, ग्रहों के रंग का वस्त्र धारण से ,धातु उपयोग से ,
देवताओ के यन्त्र पूजन दर्शन आदि से , देवताओ के कवच धारण से , पशु पक्षी , वृक्ष , अपाहिज , दीन , दुखियो के पूजा सेवा से , वृक्ष लगाने से ,
वालवृद्धातुरों की सेवा से , साधु संतो के दर्शन , तीर्थ यात्रा से , पुण्य पर्वो पर तर्पण क्रिया पितरो के पिंड दान श्राद्ध आदि कृत्यों से , महा मृतुन्जय मंत्र जाप से, चंडी पाठ ,
रुद्राभिषेक , मृत संजीवनी मंत्र जप , महाविद्यायों की स्तुति से , तथा ऐसे अन्य अनेक प्रकार के उपायों से भी ग्रहों की शांति शमन किया जा सकता है |
इसके अलावा रत्न धारण के आभाव में ग्रहों के वैदिक मंत्र का जप करने से सभी प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते है , ग्रह अपने द्वारा प्रदत्त अरिष्ट फलों को दूर करके शुभ फल प्रदान करते हैं | प्रत्येक ग्रहों के वैदिक मंत्र ऋषियों द्वारा निर्णित है जो अनादि काल से प्रयोग होते रहते है यथा सूर्य का सात हजार , चन्द्रमा का ११ हजार , मंगल का १० हजार , बुद्ध का ९ हजार , गुरु का ११ हजार , शुक्र का १६ हजार , शनि का २३ हजार , राहु का १८ हजार तथा केतु का १७ हजार जप करना चाहिए |