क्या भारत में मनोरोगी (पागल) भी सदन का सदस्य हो सकता है ? Yogesh Mishra

भारतीय चुनाव आयोग भारत में दो तरह के चुनाव नियंत्रित करती है ! पहला लोकसभा और दूसरा राज्यों की विधानसभा के चुनाव ! इन चुनावों को लड़ने के लिए चुनाव प्रत्याशियों का भारत का नागरिक होना आवश्यक है ! इसके साथ ही वह व्यक्ति जो चुनाव प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने जा रहा है, उसका भारत के किसी न किसी क्षेत्र के चुनाव मतदाता सूची में उसका नाम होना परम आवश्यक है !

इसके साथ ही नये नियमों के अनुसार उसके ऊपर किसी भी तरह का कोई भी राजकीय कर या देय बकाया नहीं होना चाहिए ! यदि वह व्यक्ति लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है, तो उसकी न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए और यदि राज्य सभा का लड़ रहा है तो उसकी आयु 30 वर्ष होनी चाहिये ! ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84 में व्यवस्था की गई है !

व्यक्ति के निर्वाचित हो जाने के उपरांत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 के अंतर्गत यदि यह पाया जाता है कि वह व्यक्ति मानसिक रूप से विक्षिप्त है या उसमें सोचने समझने की क्षमता नहीं है तो उस स्थिति में राष्ट्रपति के पास एक आवेदन दिया जाएगा ! जिस पर राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय पर किसी चिकित्सा अधिकारी से जांच करा कर यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हो जाता है कि संसद सदस्य मानसिक रूप से विक्षिप्त है तो उस व्यक्ति की संसद सदस्यता समाप्त कर सकता है !

इसी तरह जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधियों की अनर्हताओं का वर्णन किया गया है ! उसमें भी विशेष रूप से ध्यान इस बात पर दिया गया है कि व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति का नहीं होना चाहिए या आर्थिक रूप से दोषी नहीं होना चाहिये !

किंतु इस पूरी की पूरी संवैधानिक व विधि व्यवस्था में कहीं भी किसी मानसिक रोगी व्यक्ति के लिए भी लोकसभा या विधानसभा प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करने या चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंध नहीं है ! ऐसी स्थिति में स्पष्ट है कि कोई भी मानसिक रोगी यदि भारत का नागरिक है और वह भारत में कहीं भी मतदाता सूची में शामिल है तथा उसके ऊपर कोई राजकीय देनदारी नहीं है तो वह भारत के अंदर लोकसभा का विधानसभा का चुनाव लड़ सकता है !

चुनाव लड़ते समय भी जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 के तहत नॉमिनेशन फॉर्म भरते समय जो सूचनायें जनप्रतिनिधि प्रत्याशी से मांगी जाती हैं, उनमें कोई भी ऐसा अनिवार्य कॉलम नहीं होता है, जहां पर मानसिक रोगियों को चुनाव लड़ने से रोकने की व्यवस्था की गई हो और न ही इस प्रकार का कोई चिकित्सीय प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होता है जिससे यह स्पष्ट हो सके कि जन प्रतिनिधि के रूप में चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी मानसिक रूप से स्वस्थ है !

जबकि सरकारी नौकरी प्राप्त करने वाले व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का परीक्षण किया जाता है ! साथ ही यदि कोई व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का जज बनता है, तो उसको शपथ दिलाये जाने के पूर्व ही उसका चिकित्सीय परीक्षण किया जाता है कि वह व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ है या नहीं !

भारतीय संविधान के अनुच्छेद (आर्टिकल) 325 व 326 के अनुसार प्रत्येक वयस्क नागरिक को, जो पागल या अपराधी न हो, मताधिकार प्राप्त है। किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंग भेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। किन्तु मनोरोगी चुनाव प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से रोकने के लिये कोई व्यवस्था नहीं है !

किंतु इस तरह की कोई अनिवार्यता चुनाव लड़ने वाले जनप्रतिनिधि प्रत्याशी के लिए में नहीं है ! अतः स्पष्ट है कि भारत के अंदर कोई भी मानसिक रोगी चुनाव लड़ सकता है ! शपथ ले सकता है और संसद सदस्य या विधान सभा सदस्य बन सकता है ! यदि शासन सत्ता की दया हो तो वह व्यक्ति मंत्री भी बन सकता है ! जब तक कि उसके विरुद्ध कोई शिकायत राष्ट्रपति के समक्ष न की गई हो ! शिकायत होने पर राष्ट्रपति उस व्यक्ति का चिकित्सीय परीक्षण करा सकता है और शिकायत को लेकर संतुष्ट हो सकता है ! शिकायत सत्य पाये जाने पर उस सदस्य की सदस्यता समाप्त कर सकता है ! किन्तु प्रक्रिया पूर्ण होने के पूर्व तक वह व्यक्ति संसद सदस्य या विधानसभा सदस्य के रूप में कार्य करता रहेगा ! इसमें न्यायलय हस्तक्षेप नहीं कर सकती है !

यह एक गंभीर विषय है इस पर चिंतन करना चाहिये और जिस तरह चुनाव लड़ने के पूर्व ही चुनाव प्रत्याशी को अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मुकदमों की जानकारी चुनाव अधिकारी के समक्ष देनी होती है या राज सत्ता की कोई देनदारी नहीं है, इस तरह का एफिडेविट देना पड़ता है, ठीक उसी तरह मेरा मत है कि प्रत्येक चुनाव प्रत्याशी से उसके मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने का भी प्रमाण पत्र लिया जाना चाहिये ! जिससे सदन के अंदर मनोविकृति सदस्य पहुंचकर सदन की गरिमा को भंग न कर सकें !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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