आखिर ब्राह्मण कभी हारता क्यों नहीं ?? : Yogesh Mishra

मुसलमानों के आक्रमण से पहले सनातन धर्मी ब्राह्मण और बौद्ध धर्म के बीच तीखा संघर्ष चला था ! इस संघर्ष में बौद्ध धर्म ने सनातन धर्म को पराजित कर दिया था ! क्योंकि जब राजा अशोक ने बुद्ध धम्म को राजकीय धर्म घोषित कर दिया ! तब सचमुच सनातन धर्मी ब्राह्मणों को बहुत बड़ा धक्का लगा था ! इससे ब्राह्मणों को राज्य का संरक्षण मिलना बन्द हो गया !

अशोक साम्राज्य में उन्हें धार्मिक कार्यों में गौण या अधीनस्थों का दर्जा दिया गया था और उनके शास्त्रों की अवहेलना की जाने लगी थी ! निःसन्देह कहा जा सकता है कि सनातन धर्म को दबा दिया गया था क्योंकि अशोक ने ब्राह्मण द्वारा लिखित धर्म ग्रन्थों के पठन पाठन पर रोक लगा दी थी ! जिस पर ब्राह्मणत्व ही नहीं बल्कि सनातन धर्म टिका हुआ था !

इस प्रकार ब्राह्मणों को न केवल राज्य का संरक्षण मिलना बन्द हो गया था ! बल्कि उनके पठन पाठन का व्यवसाय भी छिन लिया गया था ! ब्राह्मण का जो व्यवसाय था, यज्ञ कर्म करना और उसके बदले में दक्षिणा लेना ! वह ही उसके जीवकोपार्जन का आधार था ! उसे भी रोक दिया गया था !

इस प्रकार 140 वर्ष अशोक से अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ तक मौर्य साम्राज्य में ब्राह्मण प्रभावहीन रहे ! फिर ब्राह्मण उठ खड़े हुये और सनातन धर्म के पुनः स्थापन के लिये कार्य शुरू किया ! तब पुष्यमित्र के नेतृत्व में बौद्ध अनुयाई मौर्य साम्राज्य अन्तिम सम्राट वृहद्रथ के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर स्वयं को राजा उद्घोषित कर दिया !

पुष्यमित्र ‘शुंग’ गोत्र का सामवेदी ब्राह्मण था ! जो सनातन धर्म में विश्वास करते थे ! पुष्यमित्र ने ब्राह्मणों के ह्रास के लिए जिम्मेदार बौद्ध साम्राज्य को नष्ट कर सनातन धर्म को पुनः स्थापित करने और ब्राह्मणों के उद्धार और उन्हें अपने धर्म के पालन की छूट देने का बीड़ा उठाया !

पुष्यमित्र द्वारा अन्तिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या करके इस राजहत्या का उद्देश्य राज्यधर्म के रूप में पुनः सनातन धर्म की स्थापना करना था और ब्राह्मणों को भारत का सम्प्रभु शासक बनाना था ! जिससे राजा की राजनीतिक सत्ता की सहायता से सनातन धर्म पुनः स्थापित हो सके ! पुष्यमित्र ने हर बौद्ध भिक्खु के कटे हुये सिर की कीमत सौ स्वर्ण मुद्रायें निर्धारित की थीं !

इस विजय के बाद ब्राह्मणों के मार्ग दर्शन में सनातन धर्म पुनः स्थापित हुआ !

इसीलिए प्रत्येक ब्राह्मण और उसकी सन्तति को गुण या योग्यता की अपेक्षा करता है क्योंकि वह जानता है कि जब तक ब्राह्मण में ब्राह्मणत्व है तभी तक सनातन धर्म है ! जिसे पूरा विश्व नष्ट करना चाहता है !

ब्राह्मणों ने हिन्दुत्व की सदैव रक्षा की है क्योंकि हिन्दू धर्म ही नहीं ईश्वरीय जीवन दर्शन है ! शायद इसीलिये ईश्वर भी उन्हें साहस देता है क्योंकि हिन्दू-धर्म ही सनातन वेदों व स्मृतियों, यज्ञ-कर्म, सामाजिक शिष्टाचार, राजनीतिक व्यवहार तथा शुद्धता के नियमों पर स्थापित धर्म है !

हिन्दुओं का धर्म बस आदेशों और निषेधों का संग्रह नहीं यह ब्रह्म, ईश्वर, देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, संस्कार, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों के ज्ञान भरा पड़ा है। जिसकी आवश्यकता सदैव मनुष्य को रहेगी ! यह सभी समुदायों के लिये हर काल में उपयोगी है और ब्राह्मण ही इसका रक्षक है !!

तभी अल्लामा इक़बाल कहते हैं कि

यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से

अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा

‘इक़बाल’ कोई महरम अपना नहीं जहाँ में

मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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