दिल्ली विधानसभा चुनाव के बहाने लोकतंत्र की पुन: स्थापना हेतु महाआन्दोलन !

इस बार दिल्ली का विधानसभा चुनाव वैसा नहीं होगा जैसा हर बार होता है ! राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप चंद्रा इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव के माध्यम से एक बहुत बड़ी जनचेतना का आगाज करने जा रहे हैं !

इस जन चेतना के माध्यम से प्रताप चंद्रा राष्ट्र को यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत का लोकतंत्र, पार्टीतंत्र के कब्जे में चला गया है और जब तक भारत को पार्टी तंत्र से मुक्त करके पुनः भारत में लोकतंत्र की स्थापना नहीं की जाती, तब तक भारत के अंदर से न तो ही भ्रष्टाचार खत्म किया जा सकता है और न ही भारत के नागरिकों को उनका सम्मान वापस करवाया जा सकता है !

प्रताप चंद्रा जी भारत के संविधान में पूरी आस्था रखते हैं ! उनका यह मानना है कि भारत के संविधान के उद्देशिका में वर्णित “लोकतंत्र” का आज भारत के पार्टी तंत्र द्वारा अपराहन कर लिया गया है और चुनाव आयोग के सहयोग से उसका निरंतर हर चुनाव में बलात्कार हो रहा है और शीघ्र की लोकतंत्र की हत्या सुनिश्चित है !

उनका यह स्पष्ट मत है कि राजनीतिक दलों को जो चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग द्वारा वितरित किए जाते हैं ! वह भारत के लोकतंत्र के हत्या के लिये रची गयी एक साजिश है ! जिसके तहत भारत में दिखता तो लोकतंत्र है लेकिन वास्तव में भारत की राजनीति दलों द्वारा इसे पार्टी तंत्र के हवाले कर दिया गया है !
प्रताप चंद्रा जी का मत है कि जब तक भारत के राजनैतिक दलों का आरक्षित चुनाव चिन्ह भारत में समाप्त नहीं किया जायेगा तब तक भारत के अंदर लोकतंत्र की पुन: स्थापना नहीं हो सकती है !

क्योंकि इस आरक्षित चुनाव चिन्ह के कारण ही चुनाव चिन्ह की ओट में राजनीतिक दल भारत में पर्याप्त भ्रष्टाचार फैलाए हुये हैं ! 20 रुपये का कमल का फूल 20 करोड़ का बिक रहा है और 25 रुपये की झाड़ू ढाई करोड़ की बिक रही है ! 3 हजार की साइकिल 3 करोड़ में बिक रही है ! यह सारी चीजें इसीलिये हो पा रही हैं कि भारत के अंदर राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग ने संविधान विरुद्ध जा कर हठधर्मिता के साथ स्थाई रूप से उनके चुनाव चिन्ह आरक्षित कर रखें !

इसके अलावा दिल्ली विधानसभा चुनाव के माध्यम से प्रताप चंद्रा शहरी नौजवानों को आंदोलित कर रहे हैं ! उनका कहना है कि जिस तरह “मनरेगा स्कीम” के तहत गांव में रहने वाले मजदूर और बेरोजगारों को 120 दिन की स्थाई रोजगार गारंटी दी जाती है, ठीक उसी तरह जिन नौजवानों ने भारत के विकास में सहयोग करने की मंशा से शिक्षा ग्रहण की लेकिन भारत की शासन सत्ता उन्हें रोजगार देने में अक्षम रही, ऐसे नौजवानों को भी मनरेगा योजना के तहत 120 दिन की शिक्षित रोजगार गारंटी दी जानी चाहिये ! जिससे वह अपने स्वाभिमान के साथ अपना जीवन यापन कर सकें ! उन्हें अपने रोजमर्रा की आवश्यकता के लिये अपने माता-पिता या परिवार पर आर्थिक रूप से आश्रित न रहना पड़े !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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