Shaivism & Vaishnavism

सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में अंतर : Yogesh Mishra

सनातन धर्म मानवता के साथ स्व विकसित, प्रकृति और पर्यावरण अनुगामी धर्म है ! इसे शैव जीवन शैली का धर्म भी कहा जा सकता है ! इसमें उपासना के लिए किसी भी भक्त पर किसी भी प्रकार का कोई कर्मकांड का बंधन नहीं होता है ! जबकि हिंदू धर्म ईश्वर …

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वाल्मीकि ने रामायण लिखी ही नहीं थी : Yogesh Mishra

महर्षि वाल्मीकि का मूल नाम रत्नाकर था और इनके पिता ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रचेता थे ! ब्रह्मर्षि भृगु के वंश में उत्पन्न ब्राह्मण थे ! जिसकी पुष्टि स्वयं वाल्मीकि रामायण और महाभारत नामक ग्रन्थ से होती है ! ‘“संनिबद्धं हि श्लोकानां चतुर्विंशत्सहस्र कम् ! उपाख्यानशतं चैव भार्गवेण तपस्विना !! …

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अनियंत्रित इंद्रियां ही अपराध का कारण हैं : Yogesh Mishra

वैष्णव मत दर्शन के अनुसार मनुष्य को 14 इंद्रियां प्राप्त हैं ! पांच ज्ञानेंद्रियां आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा; पांच कर्मेंद्रियां हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग और चार अंतःकरण मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार ! मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार व्यक्ति को अपराध के लिये उकसाती हैं ! …

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सांसारिक दरिद्रता वैष्णव जीवन दर्शन की देन है : Yogesh Mishra

प्राय: वैष्णव विचारकों के मुख से यह बात सुनने में आती है कि लक्ष्मी और सरस्वती का मेल नहीं है अर्थात जो व्यक्ति संपन्न है वह विद्वान नहीं हो सकता और जो विद्वान है वह संपर्क नहीं हो सकता है ! लेकिन यह वैष्णव दर्शन नितांत अव्यवहारिक और षड्यंत्रकारी है …

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राम को पिनाक धनुष तोड़ना क्यों जरुरी था : Yogesh Mishra

वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का कोई वर्णन नहीं है ! महर्षि वाल्मीकि के अनुसार रावण की नानी केतुमती जिसे तुलसीदास ने ताड़का कहा, उसकी अकारण विश्वामित्र के उकसाने पर राम द्वारा हत्या कर दी गयी थी ! उस समय विश्वामित्र को यह पता था कि रावण इसका बदला जरुर …

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शैव साधना के सात चरण हैं : Yogesh Mishra

शैव साधना पद्धति के सात चरण हैं ! जो पूरी तरह से वैष्णव साधना पद्धति से भिन्न हैं ! शैव साधना में सबसे ज्यादा कार्य स्वयं अपने आप पर करना होता है, जबकि वैष्णव साधना पद्धति में सबसे अधिक कार्य भगवान अर्थात अवतार पर करना होता है ! जिन्हें वैष्णव …

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हर व्यक्ति जन्म से शैव ही है : Yogesh Mishra

शैव जीवन शैली का अनुपालन करने वाले व्यक्ति की तीन पहचान होती है ! पहला वह संग्रह नहीं करता है ! दूसरा वह किसी से राग द्वेष नहीं रखता है और तीसरा वह सबको समान समझता है ! यह तीनों ही गुण मनुष्य में जन्मजात होते हैं ! जिसे मनुष्य …

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पाखंडी ध्यान गुरुओं से सावधान : Yogesh Mishra

ध्यान के दो अर्थ होते हैं ! सामान्य प्रचलित भाषा में किसी विषय, वस्तु, व्यक्ति, उद्देश्य पर मन और भाव को केन्द्रित करना ध्यान है ! जिसे हम त्राटक के नाम से भी जानते हैं ! वैष्णव जीवन शैली में इसका बड़ा महत्व है ! ध्यान का दूसरा अर्थ है …

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राम के वनवास का सच : Yogesh Mishra

प्राय: आरोप लगाया जाता है कृष्ण एक कुटिल राजनीतिज्ञ थे और राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! यह बात अलग है कि राम को मर्यादा पुरुषोत्तम घोषित करने का श्रेय एक पैतृक कथावाचक और कवि गोस्वामी तुलसीदास को जाता है ! यदि राम को एक राजा के रूप में देखा जाए …

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क्या दशरथ चक्रवर्ती सम्राट नहीं बल्कि एक काबिले के राजा थे : Yogesh Mishra

गोस्वामी तुलसीदास ने राजा दशरथ को रामचरितमानस में एक चक्रवर्ती सम्राट कह कर संबोधित किया है और साथ में यह भी बतलाया है कि राजा दशरथ का इतना प्रभाव और सामर्थ्य था कि वह किसी भी व्यक्ति को राजा बना सकते थे और किसी भी राजा को दंडित कर सकते …

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