गोस्वामी तुलसीदास ने राजा दशरथ को रामचरितमानस में एक चक्रवर्ती सम्राट कह कर संबोधित किया है और साथ में यह भी बतलाया है कि राजा दशरथ का इतना प्रभाव और सामर्थ्य था कि वह किसी भी व्यक्ति को राजा बना सकते थे और किसी भी राजा को दंडित कर सकते थे !
लेकिन यह एक कवि की कल्पना है ! जो अपने नायक को महानायक बनाने के लिए तरह-तरह के काल्पनिक व प्रपंचों को रचता है ! जबकि यथार्थ इसके बिल्कुल विपरीत है !
अयोध्या का तथाकथित साम्राज्य उत्तर में सरजू नदी से लेकर दक्षिण में लगभग 16 किलोमीटर दूर तमसा नदी के तट तक स्थापित था ! जहां राम के वनवास के समय अयोध्या का आम जनमानस राम को अयोध्या राज्य की सीमा तक विदाई देने के लिए पैदल ही 1 दिन में पहुंच गया था और वहां पर भगवान राम के साथ रात्रि विश्राम किया था !
और अगले दिन भगवान राम के निर्देश पर अयोध्यावासी वापस अपने घरों को चले गए थे तथा आगे की यात्रा भगवान राम ने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ आरंभ की थी और वह सभी प्रयाग के निकट निषाद राज केवट के साम्राज्य में प्रवेश कर गए थे !
प्रमाण के तौर पर तमसा नदी का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में अयोध्या के निकट बहने वाली छोटी नदी के रूप में मिलता है ! वन जाते समय श्री राम लक्ष्मण और सीता ने प्रथम रात्रि तमसा-तीर पर ही बितायी थी ! इससे स्पष्ट होता है कि रामायण तथा पुराणों में प्रसिद्ध तमसा यही है !
वर्तमान में यह तमसा नदी अयोध्या (जिला फैजाबाद) से लगभग 12 मील दक्षिण में बहती हुई लगभग 36 मील के बाद अकबरपुर के पास बिस्वी नदी से मिल जाती है तथा इसके बाद इस संयुक्त नदी का नाम टौंस हो जाता है, जो तमसा नदी का ही अपभ्रंश शब्द माना गया है !
इसी तमसा नदी के किनारे दशरथ द्वारा गलती से श्रवण कुमार की मृत्यु हुई थी ! अयोध्या से लगभग 12 मील दूर तरडीह नामक ग्राम है ! जहाँ स्थानीय किंबदंती के अनुसार श्री राम ने वनवास यात्रा के समय तमसा को पार किया था !
वह घाट अभी भी रामचौरा के नाम से विख्यात है ! यह टौंस नदी आजमगढ़, मऊ जिले में बहती हुई बलिया के पश्चिम में गंगा में मिल जाती है !
इसी तरह पश्चिम में सरजू नदी के तट से लेकर वर्तमान टांडा तक लगभग 61 किलोमीटर पूर्व में सरजू नदी के तटीय क्षेत्र में राजा दशरथ का राज्य स्थापित था ! जिनका मुख्य कार्य कृषि करना, गौ पालन करना और पशुओं हत्या द्वारा जीवन निर्वहन करना था ! इस तरह अयोध्या राज्य की सीमा 16 किलोमीटर लम्बी और मात्र 61 किलोमीटर चौड़ी कृषि भूमि थी !
इसके आगे अरण्य अर्थात जंगल क्षेत्र था ! जिस पर केतु मती अर्थात रावण की नानी ताड़का का कब्जा था ! जिसकी हत्या विश्वामित्र ने राम के द्वारा बक्सर नामक स्थान पर वर्तमान बिहार राज्य में करवाई थी !
उस समय इस अयोध्या राज्य क्षेत्र की आबादी लगभग 15 लाख थी ! जिसमें मात्र ती लाख पुरुष थे ! बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि आज से 7500 साल पहले भगवान राम के समय में पूरे विश्व की आबादी मात्र डेढ़ करोड़ थी !
इसीलिये वैष्णव जनसँख्या वृद्धि के लिये तरह तरह के जप तप अनुष्ठान आदि किया करते थे !
इस तरह राजा दशरथ कोई चक्रवर्ती सम्राट नहीं बल्कि एक छोटे से कबीले के राजा थे ! उनकी कुलदेवी देवकाली माता थी !!