मोहन भागवत जी द्वारा जो मुसलमान समाज को लेकर हाल ही में बयान दिया गया, उसके उपरांत जो विद्वान जनों की राय सोशल मीडिया पर सामने आई वह भावुकता से भरी हुई तथा एक पक्षीय प्रतीत होती है !
निसंदेह संघ पिछले 96 वर्षों से प्रतिवर्ष हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिंदुओं से सहयोग में धर्म रक्षा निधि इकट्ठा करता है और अपने 54 अनुषांगिक संगठनों के द्वारा हिंदू राष्ट्र के निर्माण का दावा कर रहा है !
लेकिन अनुभव में यह आया के हिंदू स्वयं नहीं चाहता कि भारत हिंदू राष्ट्र बने ! हिंदुओं में कोई भी ऐसा सर्वमान्य धर्मगुरु नहीं है, जिसको पूरा हिन्दू समाज एक स्वर से सम्मान व सहयोग देता हो ! साथ ही आज तक हिंदू समाज ने कोई भी ऐसा सिद्धांत स्थापित नहीं किया कि जहां से एक बार में संपूर्ण हिंदू समाज को संदेश दिया जा सके और हिंदू समाज उस संदेश को क्रियान्वित करने के लिए सक्रिय रुप से कार्य कर सके !
आज के हिंदू की पहली प्राथमिकता अपना व्यापार व्यवसाय और परिवार है ! हिंदुओं ने कभी भी एकमत होकर राष्ट्रहित में अपने निजी स्वार्थों को छोड़कर कोई भी निर्णय नहीं लिया ! शायद इसी का परिणाम है कि जो हिंदू कभी वर्मा से लेकर ईरान तक अपने हिंदुस्तान की स्थापना कर चुके थे ! वह आज मात्र छोटे से भारत में समिट कर रह गए हैं !
यह निश्चित जान लीजिए कि यदि संघ न होता तो आज हिंदू और हिंदुस्तान दोनों ही भारत के जमीन से खत्म हो चुका होता ! इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंदुओं को हिंदुस्तान की सरजमीं पर जो हम आत्मसम्मान के साथ जी रहे हैं ! उसमें संघ की बहुत बड़ी भूमिका है !
किंतु यह भी सत्य है कि संघ का सिद्धांतों से बार-बार पलायन कर जाना भी संघ के दृढ़ व्यक्तित्व की कमी को प्रकट करता है ! इसका कारण शायद संघ को हिंदुओं का उस स्तर का सहयोग न मिलना भी है जैसी वह समाज से अपेक्षा करते हैं !
लेकिन दूसरी तरफ यह भी विचारणीय है कि लोकतंत्र में मतदाता का मत ही व्यवस्था का निर्माण करता है हिंदुओं ने संगठित होकर केंद्र और विभिन्न राज्यों में संघ के अनुषांगिक राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से सत्ता में बैठाया है, लेकिन इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी हिंदू राष्ट्र की तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ा सकी !
शायद यह भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की हिंदुत्व और राष्ट्र के समर्पण की कमी का परिणाम है, लेकिन इसके बाद भी संघ को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते ! जब तक की संघ के समानांतर कोई वैकल्पिक व्यवस्था हिंदू समाज अपनी आत्मरक्षा में खड़ी न कर ले !
यह भी एक सत्य है कि संघ का अहंकार आज संघ को हिंदू समाज से दूर ले जा रहा है ! आज संघ के प्रचारक हिंदू जनता के साथ समय देना पसंद नहीं करते हैं ! उन्हें अब भारी सुरक्षा, एयर कंडीशन गाड़ीयां, एयर कंडीशन गेस्ट हाउस और लग्जरी भोजन पसंद आता है !
संघ की मीटिंग में भी अब समाज का संपन्न वर्ग ही आमंत्रित किया जाता है ! आम जनमानस पर संघ के प्रचारकों की कोई रुचि नहीं है ! सच्चाई तो यह है कि संघ के प्रचारक अब वर्तमान सत्ता से अधिकतम निजी लाभ पाने की इच्छा से संघ में कार्य कर रहे हैं और जिन संघ प्रचारकों में राष्ट्रप्रेम था, उनकी अब संघ में सुनी ही नहीं जाती है ! यह राष्ट्र प्रेमी बुजुर्ग संघ प्रचारक अब संघ के वृद्ध आश्रम में अपने मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं !
और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद जिस तरह से आर्थिक कारणों से हिंदू कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है और वह सभी कमियां जो दूसरे राजनीतिक दल में थी ! उनसे भी भयावह स्थिति आज भारतीय जनता पार्टी में व्याप्त है ! उसने जनता का संघ और संघ के राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी के प्रति हिंदुओं का विश्वास कम कर दिया है !
लेकिन फिर भी यदि हम हिंदू होकर वैकल्पिक संगठन के अभाव में संघ को कमजोर करेंगे तो निश्चित रूप से यह जान लीजिए कि हमारा बुरा समय अब शुरू हो गया है !
संघ में हजार कमियां हैं ! यह संघ स्वयं स्वीकार करता है ! संघ 96 वर्ष का बुजुर्ग संगठन है ! उसमें इतने लंबे अंतराल से काम करते-करते हजारों कमियां होना स्वाभाविक है लेकिन क्या हिंदू समाज ने अपनी रक्षा के लिए इस बुजुर्ग संगठन के विकल्प में किसी अन्य वैकल्पिक संगठन का निर्माण किया है ! यदि नहीं तो हिंदुओं को इस बुजुर्ग संगठन के सम्मान को कम करने का कोई अधिकार नहीं है !
आत्मरक्षा के लिए सदैव एक सशक्त सामाजिक संगठन की आवश्यकता होती है ! प्राचीन काल में यह संगठन धर्म के द्वारा संचालित होता था किंतु समाज के धर्म पलायन हो जाने के बाद, अब धर्म व्यवस्था भी निष्क्रिय और व्यवसाई हो गयी है ! धर्मगुरु भोग विलास में पड़ गए हैं !
इसलिए वैकल्पिक आत्मरक्षा के किसी भी संगठन के निर्माण किये बिना संघ की कार्यशैली से असंतुष्ट होकर संघ का सहयोग बंद कर देना यह किसी भी तरह से हिंदू समाज के हित में नहीं है !!