“आज भारत की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कंपनीयों का बहुत बड़ा कब्जा है, अब समय आ गया है कि विदेशी उत्पादों का बहिष्कार कर स्वदेशी अपनाएँ ! इस स्वतंत्रता दिवस पर स्वदेशी इस्तेमाल करने का संकल्प लें!“ ऐसा एक “भगवा व्यवसाई” द्वारा अपना सामान बेचने के लिये “कई विदेशी चैनलों” को भारतीय जनता के मेहनत का करोड़ो रुपये देकर “स्वदेशी” के नाम पर “देश को गुमराह करके” विज्ञापित किया जा रहा है !
सर्वे त्यागी, सम्राट योगी लोगों के स्वास्थ्य सुधार के लिए “योगा” के नाम पर “शारीरिक व्यायाम” करवाने वाले तथाकथित राष्ट्र प्रेमी संत को योग करवाते-करवाते अचानक एक दिन राष्ट्र प्रेम जागृत हो गया और उन्होंने “भारत के स्वाभिमान” को पुनः दिलवाने के लिए एक “ट्रस्ट” की स्थापना की ! जिसमें “भारतीय जनता के करोड़ों रुपये का सहयोग” जमा हुआ और उनके द्वारा यह घोषणा की गई कि “भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद नहीं हुआ था” बल्कि यह अंग्रेजों और भारतीय नेताओं के बीच एक “गुप्त समझौते के तहत” सत्ता का हस्तांतरण मात्र था !
इसको सिद्ध करने के लिए उन्होंने अनेकों बार “ट्रांसफर ऑफ़ पॉवर” नामक पुस्तक के अनेकों खंड प्रातः शाररिक व्यायाम (योगा) करवाते समय मंच पर रखकर ( भले ही उस पुस्तक का एक भी पेज न तो वह पढ़ सकते थे न ही समझ सकते थे ) फिर भी लोगों को यह प्रेरित करते थे कि यदि भारत को पुनः अपने स्वाभिमान के साथ विश्व में अपनी पहचान बनानी है तो उसे एक नई आजादी का उद्घोष करना चाहिए ! यह कहते हुये देश की भोली-भाली जनता से चंदा इकठ्ठा करते रहे !
“गुप्त समझौते” के आधार पर मिली तथाकथित “आजादी” के खुलासे और “व्यवस्था परिवर्तन” के लिये 4 जून 2011 को दिल्ली में एक बहुत बड़ा राष्ट्रव्यापी आंदोलन आयोजित किया गया ! तत्कालीन सत्ताधीश नेताओं ने इन तथाकथित योग गुरु का हवाई जहाज से उतरते ही भव्य स्वागत किया और गुपचुप तरीके से तत्कालीन सत्ताधीश नेताओं और तथाकथित योग गुरु के मध्य कुछ “गुप्त समझौतों” के आधार पर उपरोक्त आजादी के “गुप्त समझौते” के विरोध में एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन को चलाने की आज्ञा दी गई ! किंतु अपने स्वभाव के अनुसार तथाकथित योग गुरु ने सत्ताधीशों के शर्तों का अनुपालन नहीं किया !
परिणाम यह हुआ के रात्रि में आंदोलन शिविर पर लाठी चार्ज हुआ और तथाकथित “राष्ट्र प्रेम से ओत प्रोत भगवा योग गुरु” अपनी जान बचाने के लिए “किसी महिला का उधार लिया हुआ सलवार कुर्ता” पहन कर भागने की कोशिश करने लगे ! तभी अचानक उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें उनके “योग धाम” भेज दिया गया ! जहां पर उन्होंने अनशन प्रारंभ किया और 2 दिन के अंदर ही तथाकथित योग गुरु भूख से तड़प कर अस्पताल में भर्ती हो गये ! यह वही योगगुरु हैं जिनके विषय में बतलाया जाता है कि उन्होंने पिछले कई दशकों से अन्न ग्रहण नहीं किया है !
कालांतर में उनके कुछ साथियों ने उन्हें समझाया कि इस तरह के व्यर्थ के आंदोलनों से कोई लाभ नहीं है ! आपकी समाज में “मायावी प्रतिष्ठा” है और उसका लाभ उठाने के लिए आप तत्काल व्यवसाई बन जाइये ! लोगों की यह बात तथाकथित योग गुरू को समझ में आई और जल्दी से जल्दी अधिक से अधिक धन कमाने के लिए तथाकथित योग गुरु ने जो भारत के स्वाभिमान को “जागाने के लिये” जो आंदोलन प्रारम्भ किया था ! उसे जनता से करोड़ों रुपये लेकर हजम करने के बाद पुनः “सुला” दिया और अब वह “स्वदेशी” के नाम का प्रयोग करते हुए अपना माल बेच रहे हैं !
जो कभी भारत की आजादी को एक मात्र सत्ता हस्तांतरण का “गुप्त समझौता” बतलाया करते थे ! वह आज भारत के “स्वतंत्रता दिवस” पर अपना तथाकथित स्वदेशी उत्पाद बेचने के लिए और विदेशी कंपनियों के उत्पादों से देश को मुक्त कराने के लिए देश के नागरिकों को देश प्रेम के नाम पर अपना माल बेचते नजर आते हैं ! धन्य है देश के यह भगवाधारी व्यवसाई ! अब देखना है कि भारत का आम नागरिक इनके भगवा वस्त्र के अंदर कुटिल और जटिल धन के लोभी व्यवसायिक व्यक्तित्व को कब समझ पाता है !