विश्व में कोई भी ऐसी कुंडली नहीं है जो मारकेश से मुक्त हो और मारकेश का तात्पर्य कभी भी मृत्यु हो जाना भी नहीं है | मारकेश का तात्पर्य सदैव मृत्यु तुल्य कष्ट से है | किसी व्यक्ति का इतना अपमान हो जाए कि उसके अंदर जीने की इच्छा ही समाप्त हो जाए या किसी व्यक्ति का कोई अत्यंत प्रिय उसको सदा के लिए छोड़कर चला जाए | जिसके प्रभाव से उसके अंदर जीने की इच्छा समाप्त हो जाए | अपने पूरे जीवन के परिश्रम से कोई व्यक्ति किसी कार्य, संपत्ति या व्यवसाय को खड़ा करे और कुछ ऐसी परिस्थितियां हो कि वह सब कुछ नष्ट हो जाए | व्यक्ति की सत्ता चली जाए आदि ऐसी बहुत सी घटनायें या कार्य मारकेश के प्रभाव से होते हैं |
कुंडली के बारह भाव और नवग्रह में सदैव कोई न कोई एक ग्रह मारक और दूसरा ग्रह सहमारक होगा ही होगा और इससे बड़े आश्चर्य की बात की है कि कभी भी मारकेश ग्रह मृत्यु का कारण नहीं होता है | यह बहुत बड़ी भ्रान्ति है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु मारकेश ग्रह की अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा में होती है | मारकेश ग्रह कभी किसी की मृत्यु का कारण नहीं बनता है | इसीलिए यदि आपकी कुंडली के अंदर मारकेश ग्रह की अंतर या प्रत्यंतर चल रही है तो आप भयभीत मत होइए |
मारकेश अधिकांशत: व्यक्ति को मात्र मृत्यु तुल्य कष्ट देता है और इस ग्रह की अन्तर प्रत्यंतर दशा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कई बार आती है | इसलिए मारकेश से डरने या घबराने की आवश्यकता नहीं है | बल्कि सतर्क होने की आवश्यकता है क्योंकि ईश्वर आपको यह बतलाना चाहता है कि तुम्हें जिस चीज पर बहुत गर्व है या जिसको तुम मोह वश अपना समझ गए हो | यह जिसके बिना तुम जी नहीं सकते हो | वह कभी भी तुमसे छीन सकती है |
रही मृत्यु की बात तो मारकेश हमेशा अपने सह मारकेश या सहयोगी मित्र ग्रह की मदद से मारण की घटना करवाता है | कोई भी मारकेश ग्रह कभी स्वयं किसी भी व्यक्ति की मृत्यु का कारण नहीं बनता है | बल्कि जब किसी व्यक्ति की आयु पूरी हो जाती है | तो मारकेश के निर्देश पर सहयोगी सह मारकेश या सहयोगी मारकेश का मित्र ग्रह उस व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है | अर्थात सह मारकेश या मारकेश का मित्र ग्रह जब तक मारकेश को पूर्ण सहयोग न करे तब तक अकेला मारकेश किसी भी व्यक्ति के मृत्यु का कारण नहीं बन सकता है |
इसलिए मात्र मारकेश के अंतर या प्रत्यंतर दशा आ जाने पर घबराने या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सतर्क होने की आवश्यकता है और प्रकृति की व्यवस्था के तहत ईश्वर के प्रति संपूर्ण समर्पण कर देने की आवश्यकता है | शास्त्र सम्मत तरीके से सही पध्यति से पूजा, अनुष्ठान, रत्न धारण आदि करने की आवश्यकता है | जिससे आप उस मारकेश के नकारात्मक प्रभाव से बाहर निकल सकें |