संतान प्राप्ति एवं रक्षा हेतु अचूक उपाय
कुण्डली में पंचम भाव से संतान की प्राप्ति एवं उसकी रक्षा का पता चलता है अतः यदि पंचम भाव में निम्नलिखित ग्रह बैठे हों तो माता पिता को संतान के प्राप्ति, रक्षा, विकास हेतु निम्नलिखित कार्य नहीं करने चाहिए
यदि पंचम भाव में सूर्य स्थित हो तो:
1 – कभी झूठ मत बोलो और दूसरों के प्रति दुर्भावना मत रखें।
2 – यदि आप किसी को केाई वचन दें तो उसे हर हाल में पूरा करें।
3 – प्राचीन परंपराओं व रस्म रिवाजों की कभी अवहेलना न करें।
4 – दामाद, नाती (नातियों) तथा साले के प्रति कभी विमुख न हों न ही उनके प्रति दुर्भावना रखें।
5 – पक्षी, मुर्गा और शिशुओं के पालन-पोषण का हमेशा ध्यान रखें।
यदि पंचम भाव में चंद्र हो तो:
1 – कभी लोभ की भावना मत रखें तथा संग्रह करने की मनोवृत्ति मत रखें।
2 – धर्म का पालन करें, दूसरों की पीड़ा निवारणार्थ प्रयास करते रहें और अपने कुटुंब के प्रति ध्यान रखें।
3 – चंद्र संबंधी कोई भी अनुष्ठान करने से पूर्व कुछ मीठा रखकर, पानी पीकर घर से बाहर जाएं।
4 – सोमवार को श्वेत वस्त्र में चावल-मिश्री बांध कर बहते जल में प्रवाहित करें।
यदि पंचम भाव में मंगल बैठा हो तो:
1 – रात में लोटे में जल को सिरहाने रखकर सोएं।
2 – परायी स्त्री से घनिष्ठ संबंध न रखें तथा अपना चरित्र संयमित रखें।
3 – अपने बड़े-बूढ़ों का सम्मान करें और यथासंभव उनकी सेवा करें तथा सुख सुविधा का ध्यान रखें।
4 – अपने मृत बुजुर्गों इत्यादि का पूर्ण विधि-विधान से श्राद्ध करें। यदि आपका सुहृद संतान मर गया हो तो उसका भी श्राद्ध करें।
5 – नीम का वृक्ष रोपें तथा मंगलवार को थोड़ा सा दूध दान करें।
यदि पंचम भाव में बुध हो तो:
1 – गले में तांबे का पैसा धारण करें।
2 – यदि गो-पालन किया जाए तो संतान, स्त्री और भाग्य का पूर्ण सुख प्राप्त होगा।
यदि पंचम भाव में बृहस्पति हो तो:
1 – सिर पर चोटी रखें और जनेऊ धारण करें।
2 – आपने यदि धर्म के नाम पर धन संग्रह किया या दान लिया तो संतान को निश्चित कष्ट होगा। धर्म का कार्य यदि आप निःस्वार्थ भाव से करेंगे तो संतान काफी सुखी-संपन्न रहेगी।
3 – केतु के भी उपाय निरंतर करते रहें।
4 – मांस, मदिरा तथा परस्त्री गमन से दूर रहें।
5 – संत, महात्मा तथा संन्यासियों की सेवा करें तथा मंदिर की कम से कम महीने में एकबार सफाई अवश्य करें।
यदि पंचम भाव में शुक्र स्थित हो तो:
1 – गोमाता तथा श्रीमाता जी की पूर्ण निष्ठा के साथ सेवा करें।
2 – किसी के लिए हृदय में दुर्भावना न रखें तथा शत्रुओं के प्रति भी शत्रुता की भावना न रखें।
3 – चांदी के बर्तन में रात में शुद्ध दूध पिया करें।
यदि पंचम भाव में शनि स्थित हो तो:
पैतृक भवन की अंधेरी कोठरी में सूर्य संबंधी वस्तुएं जैसे गुड़-तांबा, मंगल संबंधी वस्तुएं जैसे सौफ, खांड,शहद तथा लाल मूंगे व हथियार, चंद्र संबंधी वस्तुएं जैसे चावल, चांदी तथा दूब स्थापित करें।
1 – अपने भार के दशांश के तुल्य बादाम बहते हुए पानी में डालें और उनके आधे घर में लाकर रखें लेकिन खाएं नहीं।
2 – यदि संतान का जन्म हो तो मिठाई न बांट कर नमकीन बांटें। यदि मिठाई बांटना जरूरी हो, तो अंशमात्र नमक का भी समावेश कर दें।
3 – काला कुत्ता पालें और उसे नित्य एक चुपड़ी रोटी दें।
4 – बुध संबंधी उपाय भी करते रहें
यदि पंचम भाव में राहु उपस्थित हो तो:
1 – अपनी पत्नी के साथ दुबारा फेरे लेने से राहु की अशुभता समाप्त हो जाती है।
2 – एक छोटा सा चांदी का हाथी निर्मित करा कर घर के पूजा स्थल में रखें।
3 – मांस, मदिरा व परस्त्री गमन से दूर रहें।
4 – जातक की पत्नी अपने सिरहाने पांच मूलियां रखकर सोएं और अगले दिन प्रातः उन्हें मंदिर में दान कर दें।
5 – घर के प्रवेश द्वार की दहलीज के नीचे चांदी की एक छोटी सी चादर/पत्तर दबाएं।
यदि केतु पंचम भाव में उपस्थित हो तो:
1 – चंद्र व मंगल की वस्तुएं दूध-खांड इत्यादि का दान करें।
2 – बृहस्पति संबंधी सारे उपाय करें।
3 – घर में यदि कोई शनि संबंधी वस्तु (काली वस्तुएं) हो तो उसे ताले में ही रखें।