पूर्ण साधक के लिये सभी धर्म ग्रंथ व्यर्थ हैं : Yogesh Mishra

धर्म ग्रंथ दो तरह के होते हैं ! एक अनुभूति धर्म ग्रंथ और दूसरा ठगी धर्म ग्रंथ !

अनुभूति धर्म ग्रंथ से तात्पर्य उस धर्म ग्रंथों से है, जिनको हम से अधिक विकसित चेतना के स्तर के व्यक्तियों द्वारा ईश्वर की व्यवस्था को अनुभूत करके लिखा गया !

और ठगी धर्म ग्रंथ वह हैं ! जिन्हें समाज को गुमराह करने के लिए अपने निजी स्वार्थों के कारण धर्म के नाम पर लिखा गया !

दुनिया के अधिकांश धर्म ग्रंथ ठगी धर्म ग्रंथ हैं ! जिन्हें धर्म के नाम पर सामाजिक गिरोह का निर्माण करने के लिये लिखा गया है !

इसीलिए आज पूरी दुनिया में धर्म के नाम पर आतंक फैला हुआ है ! और हर धर्म के नाम पर गिरोह चलाने वाले इस दुनिया के लोगों को अधिक से अधिक अपने गिरोह में शामिल करने के लिये नित्य नए-नए षड्यंत्र कर रहे हैं !

कोई लव जिहाद चला रहा है, तो कोई धर्मांतरण के लिए चंगाई सभा कर रहा है ! कोई ध्यान के नाम पर विपासना करा रहा है, तो कोई योग के नाम पर शारीरिक व्यायाम करवा रहा है ! यह सभी लोग समाज में धार्मिक प्रपंच फैलाने वाले ठग हैं !

अब बात करता हूं अनुभूति धर्म ग्रंथों की ! निश्चित रूप से जिन लोगों ने अनुभूति धर्म ग्रंथों का निर्माण किया है, उनकी चेतना का स्तर समाज के आम व्यक्तियों से अधिक विकसित था लेकिन पूर्ण विकसित नहीं था !

इसीलिए इन अनुभूति धर्म ग्रंथों से मार्गदर्शन प्राप्त कर लेने के बाद भी व्यक्ति की चेतना पूर्ण विकसित नहीं हो पाती है !
क्योंकि इन धर्म ग्रंथों में जहां तक चेतना को विकसित करने का मार्गदर्शन दिया गया है ! व्यक्ति के लिए यह धर्म ग्रंथ वहीं तक सहायक हैं ! आगे की यात्रा व्यक्ति को स्वयं करनी होगी !

जिसके लिए धर्म ग्रंथों के बाद भी किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है ! लेकिन शर्त यह है कि उस योग्य के चेतना का स्तर आपके चेतना के स्तर से अधिक विकसित होना चाहिये !

लेकिन अनुभवहीन व्यक्ति के लिये यह जान पाना बहुत कठिन है कि किस गुरु की चेतना का स्तर कितना विकसित है ! इसीलिए समाज में गुरुओं द्वारा धर्म साधना के नाम पर बहुत बड़ी ठगी हो रही है !

अत: मेरी राय में चेतना के स्तर को विकसित करने के लिए स्व की यात्रा ही सर्वश्रेष्ठ यात्रा है !
इस लिये मैं इस निष्कर्ष पर पंहुचा हूँ कि पूर्ण विकसित चेतना की यात्रा के लिये विवेकशील बुद्धि से श्रेष्ठ कोई धर्म ग्रंथ नहीं है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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