जैसा कि मैंने पूर्व में कई बार बताया है कि सृष्टि में सभी कुछ ईश्वरीय कम्पन की ऊर्जा से संचालित है ! अत: स्वाभाविक है कि प्रत्येक मनुष्य भी ईश्वरीय कम्पन की ऊर्जा से ही संचालित हो रहा है ! ऐसी स्थिति में व्यक्ति के अपने पूर्व जन्म के जैसे संचित संस्कार होंगे, उस व्यक्ति का ईश्वरीय कम्पन स्तर उसी के अनुरूप होगा !
इसी का परिणाम है कि संसार में प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग ईश्वरीय कम्पन स्थर होने के कारण हर व्यक्ति के अंगूठे के निशान अलग-अलग होते हैं ! व्यक्तियों के आंख के रेटिना की डिजाइन अलग-अलग होती है ! यहां तक कि सामान्य धड़कने वाले ह्रदय के धड़कन का स्वर भी हर व्यक्ति का अलग-अलग होता है !
बल्कि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सृष्टि के आदि से लेकर अंत तक कभी भी ऐसा नहीं होता एक बार जिस तरह के ईश्वरीय कम्पन का व्यक्ति इस धरती पर पैदा हो गया, ठीक उसी तरह के ईश्वरी कम्पन का व्यक्ति इस धरती पर कभी दुबारा पैदा होगा अर्थात सृष्टि के आदि में जो प्रथम व्यक्ति इस धरती पर पैदा हुआ था और सृष्टि के अंत में जो अंतिम व्यक्ति इस धरती पर पैदा होगा इन दोनों में कभी भी दो व्यक्ति ऐसे नहीं होंगे जिनका ईश्वरी कम्पन एक समान हो !
अतः स्पष्ट है कि हर व्यक्ति का ईश्वरी कम्पन स्तर अलग अलग होता है ! जिसे निजी अभ्यास से बदला जाना संभव है ! हम सभी नौकरी पेशा व्यक्ति यह जानते हैं कि हम जिन व्यक्तियों के साथ मिलकर काम करते हैं, वह हर व्यक्ति अलग-अलग आचरण, व्यवहार और संस्कार का होता है ! क्योंकि नौकरी करने में हमें सभी का सहयोग लेना पड़ता है और सभी का सहयोग करना पड़ता है ! इसलिए अलग-अलग आचरण, व्यवहार और संस्कार होने के बाद भी यह हमारी नौकरी करने की बाध्यता है कि हम एक दूसरे का सहयोग करें !
किंतु प्रत्येक व्यक्ति का ईश्वरीय कम्पन अलग-अलग है इसलिए कभी तो किन्ही व्यक्तियों के साथ हमारा बहुत अच्छा तालमेल बन जाता है और कभी कभी कुछ व्यक्तियों के साथ हमारा तालमेल सही नहीं बन पाता है ! जिसके कारण भौतिक रूप से तालमेल न बन पाने के कारण जो व्यक्ति हमसे अधिक ताकतवर है वह हमारा विरोध करना शुरू कर देता है और यहीं से नौकरी में संघर्ष शुरू हो जाता है !
इस संघर्ष के को समाप्त करने के लिये यह अति आवश्यक है कि हम अपने सहयोगी या साथी के ईश्वरी कम्पन के स्तर को समझें और उसके अनुसार अपने को एडजस्ट करें ! जिस में प्राय: व्यक्ति असफल हो जाता है और छोटे-छोटे विवाद इतने बड़े हो जाते हैं कि व्यक्ति जिस स्थान पर नौकरी करता है वहां का वातावरण ही दूषित हो जाता है ! परिणामत: व्यक्ति को नौकरी से हाथ धोना पड़ता है !
ऐसी स्थिति में अपने साथी या सहयोगी के ईश्वरी कम्पन के स्तर को समझने के लिए “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” एक बहुत ही व्यावहारिक साधना पद्धति है ! जिसके द्वारा आप अपने प्रत्येक साथी या सहयोगी के ईश्वरीय कम्पन के स्तर को आसानी से समझ लेते हैं और उसके अनुसार उसके साथ लोक व्यवहार करने लगते हैं ! जिससे व्यक्ति आपसे प्रसन्न हो जाता है !
परिणाम यह होता है कि जिस जगह हम कार्य करते हैं वहां का संपूर्ण वातावरण अपने अनकूल होने लगता है और अपने साथी व सहयोगियों का पूर्ण सहयोग प्राप्त होने लगता है ! इसलिए यदि नौकरी में निर्विवाद निरंतर सफलता प्राप्त करना है तो व्यक्ति को “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” की साधना अवश्य करनी चाहिये ! जिससे हर व्यक्ति के साथ आपका लोक सामंजस्य स्थापित हो सके और आप निरंतर अपने नौकरी के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें ! यही महत्व है नौकरी करने वालों के लिये “ब्रह्मास्मि क्रिया योग” का !