हिंदू धर्म में दो महा मन्त्रों का विशेष महत्व है ! एक महामृत्युन्जय और दूसरा गायत्री मंत्र ! दोनों की बड़ी भारी महिमा बतलाई गई है ! कहा जाता है कि इन दोनों मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का सवा लाख जाप करके जीवन की बड़ी से बड़ी इच्छा को पूरा किया जा सकता है ! चाहे वह इच्छा सांसारिक सुख की हो या परालौकिक सुख की ! यह दोनों मन्त्र आपके भाग्य की शक्ति को भी सकारात्मक कर देते हैं !
लेकिन बात बहुत कम लोग जानते हैं कि दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने इन दोनों मंत्रों को मिलाकर एक अन्य मंत्र निर्मित किया था ! इस मंत्र को संजीवनी महामंत्र कहा गया है ! इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु को भी रोका जा सकता है ! लेकिन इसे किसी योग्य गुरू के संरक्षण में ही सिद्ध और प्रयोग करना चाहिये ! हालांकि हमारे ऋषि-मुनि इस मंत्र के जाप के लिए स्पष्ट रूप से मना भी करते हैं ! क्योंकि आज के साधकों में वह समर्थ ही नहीं है कि वह इस मन्त्र की ऊर्जा को बर्दास्त कर सकें !
क्या है महामृत्युंजय गायत्री (संजीवनी) मंत्र :-
! !ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व:ॐ तत्सर्वितुर्वरेण्यं त्रयम्बकं यजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम बंधनान धियो योन: प्रचोदयात उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ॐ स्व: भुव: भू: स: जूं हौं ॐ ! !
ऋषि शुक्राचार्य के इस मंत्र की सिद्धि से उन्होंने देव-दानव युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए दानवों को सहज ही जीवित कर सकेने का समर्थ प्राप्त कर लिया था !
क्योकि जहाँ महामृत्युंजय मंत्र में हिंदू धर्म के सभी 33 देवताओं (8 वसु, 11 रूद्र, 12 आदित्य, 1 प्रजापति तथा 1 वषट तथा ऊँ) की शक्तियां शामिल हैं ! वहीं गायत्री मंत्र प्राण ऊर्जा तथा आत्मशक्ति की ऊर्जा को चमत्कारिक रूप से बढ़ाने वाला मंत्र है !
विधिवत रूप से इस संजीवनी महामंत्र की साधना करने से इन दोनों मंत्रों के संयुक्त प्रभाव से व्यक्ति इस संसार में कुछ भी प्राप्त कर सकता है या अपने निकटतम व्यक्ति को कोई भी सफलता प्रदान करावा सकता है ! इस मन्त्र की साधना से कुछ ही समय में व्यक्ति में विलक्षण शक्तियां उत्पन्न हो जाती हैं ! यदि वह नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करता रहे तो उसे अभीष्ट अष्ट सिद्धि और नवनिधियां भी प्राप्त होती हैं तथा मृत्यु के बाद भी उसको मोक्ष प्राप्त होता है !!