सारे पूजा अनुष्ठान कुल देवता की पूजा के बिना क्यों व्यर्थ है ? योगेश मिश्र

प्रायः वर्णसंकर संतानों और विधर्मीयों को कहते पाया जाता है कि कुलदेवता आदि का जीवन में कोई महत्व नहीं है | दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि सनातन धर्म का परित्याग कर देने के बाद या वर्णसंकर संतानों के उत्पन्न हो जाने के बाद जिनका कोई ज्ञात “कुल” ही नहीं है वह कुल देवता को महत्व क्यों देंगे |

जबकि कुलदेवता पारिवारिक पृष्ठभूमि में सनातन जीवन शैली का मूल आधार है | कुलदेवी या देवता दरअसल कुल या वंश के रक्षक देवी-देवता होते हैं । ये घर, परिवार या वंश परम्परा के प्रथम पूज्य अधिकारी देव हैं। इन देवो की स्थिति घर के बुजुर्ग सदस्यों जैसी महत्वपूर्ण होती है । इसलिये इनकी उपासना या महत्त्व दिए बगैर की गई सारी पूजा-अनुष्ठान आदि कार्य व्यर्थ हैं । इनका प्रभाव इतना महत्वपूर्ण होता है की यदि ये रुष्ट हो जायें तो अन्य कोई देवी-देवता दुष्प्रभाव या हानि कम नही कर सकते हैं | अत किसी भी पूजन के पूर्व कुल देवी या देवता की पूजा परम आवश्यक है |

कुल देवी या देवता के नाराज होने के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ते हैं | जैसे सन्तानों का विवाह न होना, विवाहित जीवन में कलह रहना, प्रतियोगी परीक्षा में बार-बार असफल होना, स्वयं या सन्तानों का संस्कार विहीन हो जाना, नौकरी का न लगना या बार-बार छूट जाना, बार-बार गर्भपात या गर्भधारण न होने की समस्या, बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना या फिर मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, निर्णय न ले पाना, अत्याधिक क्रोधी होना। स्वास्थ्य की हानि, सुख में कमी, आर्थिक संकट, आय में बरकत न होना, संतान कष्ट अथवा वंशवृद्धि में बाधा, विवाह में विलम्ब्, गुप्त रोग, स्थाई आवास न होना, लाभ व उन्नति में बाधाएं तनाव आदि परेशानियों आदि आदि कुल देवता की नाराज़गी के ही लक्षण हैं |

दूसरे शब्दों में कहें तो कुलदेवता और देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई खास अंतर नहीं समझ में आता है लेकिन उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं, नकारात्मक ऊर्जा का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है। इससे व्यक्ति की उन्नति रुकने लगती है।
शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि, कुलदेवता और देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो किसी भी बाहरी बाधा और नकारात्मक ऊर्जा से हमारी रक्षा करते हैं। इसलिए ईष्ट देवी-देवता के साथ कुलदेवी और देवता की पूजा जरूर करनी चाहिये ।

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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