कोरोना वायरस का प्रभाव आज पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा रहा है ! दुनिया का संपूर्ण आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इसके रूप, स्वरूप, कार्यशैली के आगे नतमस्तक है ! यदि यह मान भी लिया जाये की कोरोनावायरस चीन या अमेरिका में से किस एक की साजिश है तो भी आज चीन और अमेरिका में भी इससे अनंत मौतें हो रही हैं !
और विश्व के सारे चिकित्सा वैज्ञानिक इस वायरस का तोड़ ढूंढने में लगे हुये हैं ! लेकिन पिछले 6 महीनों में किसी के हाथ कुछ नहीं लगा है और अंततः विश्व के सभी देशों ने अपने देश की जनता को उसके प्रारब्ध के भरोसे छोड़ दिया है !
अब प्रश्न यह है कि यदि चिकित्सा विज्ञान में इस वायरस का कोई सही इलाज नहीं मिल रहा है तो निश्चित रूप से यह चिकित्सा क्षेत्र की प्रयोगशालाओं के बाहर से आया हुआ वायरस ही होगा ! पर प्रश्न यह है कि यह आया कहां से !
कहा जाता था कि यह वायरस बहुत कम तापमान या बहुत अधिक तापमान में जीवित नहीं कर सकता है ! किंतु पूरी दुनिया में अलग-अलग देशों के अलग-अलग तापमानों के बीच में इस वायरस का जितनी तेजी से विस्तार हो रहा है ! उसने यह सिद्ध कर दिया कि यह वायरस किसी भी तापमान में जीवित रह सकता है !
साथ ही राहु के लक्षण भी इसमें दिखलाई दे रहे हैं ! जैसे यह बार-बार अपना रूप बदल लेता है ! कोई निश्चित औषधि सभी मरीजों पर सामान काम नहीं करती है ! एक ही समय में 100 लोग कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद भी किसी में यह लक्षण प्रकट करता है तो किसी में नहीं होता है !
किसी को दवा की जरूरत ही नहीं पड़ती है तो कोई सारी दवाइयां खाने के बाद भी मर जाता है ! कुछ ऐसा भी देखने में आ रहा है कि हर व्यक्ति के अंदर यह वायरस अलग-अलग तरह के लक्षण प्रगट कर रहा है ! जिससे निश्चित तौर पर यह नहीं कहा जा सकता है कि यही कोरोना का लक्षण है !
आप ध्यान दीजिये इस वर्ष इस पृथ्वी पर 6 ग्रहण एक साथ पड़ रहे हैं और 6 ग्रह भी एक साथ वक्री हैं और 30 दिन में एक साथ पड़ने वाले तीन ग्रहण भी ग्रहों के दण्ड देने के लिये सर्वोत्तम काल है !
क्योंकि ग्रहण काल में ग्रहों की ऊर्जा का प्रभाव पृथ्वी पर असंतुलित हो जाता है ! अतः राहु जैसी ऊर्जाओं के लिये यह बहुत अनुकूल समय है ! बहुत संभावना है कि विश्व में बढ़ते अन्याय, अत्याचार, शोषण, प्रदूषण आदि के चलते ग्रहों ने ईश्वर के निर्देश पर इन पापियों को नियंत्रित करने के लिये गरुण पुराण के अनुसार दण्डित करने का विधान किया है !
तभी काल के अधिष्ठाता देवता शिव के प्रतिनिधि राहु और शनि इस पृथ्वी निवासी मनुष्यों को दण्डित करने में में लगे हुये हैं ! राहु के कारण भ्रम का निर्माण हो रहा है ! जिससे कोरोना की सही औषधि प्राप्त नहीं हो रही है और शनि का कार्य ही लोगों को उनके कर्मों के अनुसार दंडित करना है ! अतः जो जिस योग्य है उसे यथोचित दंड दे रहा है ! शनि के न्याय से कोई नहीं बचता है सदैव याद रखना !
इस लेख को लिखने का उद्देश्य यह है कि यदि आप कोरोना के नकारात्मक प्रभाव से बचना चाहते हैं तो अपने आहार-विहार विचार को शुद्ध कीजिये ! ईश्वर के लिये समय निकालिये ! आराधना प्रार्थना कीजिये और मांसाहारी भोजन एवं शराब का सेवन बिलकुल मत कीजिये ! तभी राहु और शनि के दंड से बच सकेंगे !
ईश्वर का विधान अटल है वह व्यक्ति को उसके कर्म के अनुसार दंड और पुरस्कार दोनों ही अवश्य देते हैं ! चाहे वह कोई भी हो !