दैनिक ज्योतिष में राहुकाल का विशेष महत्व है ! यह इसे राहुकालम भी कहा जाता है ! यह प्रतिदिन में एक विशेष मुहूर्त लगभग 90 मिनट होता है ! यह नित्य स्थान और तिथि के अनुसार अलग अलग होता है !
अर्थात समय क्षेत्र में अंतर के कारण अलग अलग स्थान के लिये रोज राहुकाल अलग अलग समय पर होता है !
राहु भ्रम का देवता है ! अत: सामान्य मान्यता अनुसार इस अवधि में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिये ! इसीलिये किसी भी पवित्र, शुभ या अच्छे कार्य को इस समय आरंभ नहीं करना चाहिए।
इस सन्दर्भ में अनेकों पौराणिक कथायें हमारे ग्रंथों में मौजूद हैं ! वैदिक शास्त्रों के अनुसार यह अशुभ समय होता है !
राहुकाल सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है !
सप्ताह के प्रथम दिवस अर्थात सोमवार को प्रथम भाग में भगवान शिव का शिव काल होने के कारण कोई राहु काल नहीं होता है ! अत: यह सोमवार को दूसरे भाग में होता है !
शनिवार को तीसरे भाग में, शुक्रवार को चौथे भाग में, बुधवार को पांचवे भाग में, गुरुवार को छठे भाग में, मंगलवार को सातवे भाग में तथा रविवार को आठवे भाग में होता है ! यह प्रत्येक सप्ताह के लिये निश्चित रहता है !
राहुकाल गणना में सूर्योदय के सामान्य समय को प्रात: 06:00 (भा.स्टै.टा) बजे का मानकर एवं अस्त का समय भी सांयकाल 06:00 बजे का माना जाता है ! इस प्रकार मिले 12 घंटों को बराबर आठ भागों में बांटा जाता है ! इन बारह भागों में प्रत्येक भाग डेढ घण्टे का होता है !
यहां इस बात को भी ध्यान रखना चाहिये कि वास्तव में सूर्य के उदय के समय में प्रतिदिन कुछ न कुछ परिवर्तन होता रहता है और इसी कारण राहुकाल का दैनिक समय भी परिवर्तित होता रहता है !
अतः इस बारे में एकदम सही गणना करने हेतु सूर्योदय व अस्त के समय को पंचांग से देख आठ भागों में बांट कर समय निकालना सर्वथा उचित है ! जिससे समय निर्धारण में ग़लती होने की संभावना नहीं रहती है !
प्रात: 06:00 बजे भारतीय स्टैंडर्ड टाईम के अनुसार सामान्य राहुकाल गणना के सिधान्त के अनुसार :-
सोमवार प्रात:काल 7:30 से 9:00 बजे तक
मंगलवार अपराह्न 3:00 से 4:30 बजे तक
बुधवार दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक
गुरुवार दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक
शुक्रवार प्रातः 10:30 से 12:00 तक
शनिवार प्रातः 09:00 से 10:30 तक होता है !!