क्या रावण के 10 सर थे ? जानिये रावण के 10 सर का सत्य | Yogesh Mishra

‘रावण’… दुनिया में इस नाम का दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है। कुछ विद्वानों अनुसार रावण छह दर्शन और चारों वेद का ज्ञाता था इसीलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था। रावण का राज्य विस्तार : रावण ने सुंबा और बालीद्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलयद्वीप, वराहद्वीप, शंखद्वीप, कुशद्वीप, यवद्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी। आज के युग अनुसार रावण का राज्य विस्तार, इंडोनेशिया, मलेशिया, बर्मा, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों पर शासन था।

रावण ने आर्यों की भोग-विलास वाली ‘यक्ष’ संस्कृति के विपरीत सभी की रक्षा करने के लिए ‘रक्ष’ संस्कृति की स्थापना की थी। यही ‘रक्ष’ समाज के लोग आगे चलकर राक्षस कहलाए। रावण के विमान, अंतरीक्ष यान, सेटेलाईट, एयरपोर्ट, रडार, वायर लैस सेट, दूर दर्शन यंत्र, चलभाष नाव, समुद्र जलपोत, शतरंज, दिव्य रथ, ऐसे परमाणु बम जिन्हें धनुष-बाण की तरह तरह चलाया जा सकता था आदि आदि हथियार विकसित किये थे ! श्रीलंका की श्रीरामायण रिसर्च कमेटी के चेयरमैन अशोक कैंथ ने बताया कि लंका में रावण के समय के चार हवाई अड्डे मिले हैं।

लंका उस युग में सबसे संपन्न देश था। लंकाधीश रावण ने नाना प्रकार की विधाओं के पल्लवन के लिए यथोचित धन व सुविधाएं भी उपलब्ध कराईं थीं। रावण के पास लड़ाकू वायुयानों और समुद्री जलपोतों के बेड़े थे। प्रक्षेपास्त्र औरका अटूट भण्डार व इनके निर्माण में लगी अनेक वेधशालाएं थीं। दूर संचार यंत्र भी लंका में उपलब्ध थे।

रावण पुत्र मेघनाद की निकुम्भिला वेधशाला थी। जिसमें प्रतिदिन एक दिव्य रथ अर्थात एक लड़ाकू विमान का निरंतर निर्माण होता रहता था। मेघनाद के पास ऐसे विचित्र विमान भी थे जो आंख से ओझल हो जाते थे और फिर धुआं छोड़ते थे। जिससे दिन में भी अंधकार हो जाता था। यह धुआं विषाक्त गैस अथवा अश्रु गैस होती थी। ये विमान नीचे आकर बम बारी भी करते थे।

मेघनाद की वेधशाला में ‘शस्त्रयुक्त”स्यंदन”(राकेट) का भी निर्माण होता था। मेघनाद ने युद्ध में जब इस स्यंदन को छोड़ा तो यह अंतरिक्ष की ओर बहुत ही तेज गति से बढ़ा। इन्द्र और वरूण स्यंदन शक्ति से परिचित थे। उन्होंने मतालि को संकेत कर दूसरा शक्तिशाली स्यंदन छुड़ाया और मेघनाद के स्यंदन को आकाश में ही नष्ट कर दिया और इसके अवशेष को समुद्र में गिरा दिया।

रावण के पास ‘दूर नियंत्रण यंत्र’ था जिसे ‘मधुमक्‍खी’ कहा और जो मोबाइल की तरह उपयोग होता था। वि‍भीषण के पास दर्णन यंत्र भी था। लंका के 10,000 सैनिकों के पास ‘त्रिशूल’ नाम के यंत्र थे, जो दूर-दूर तक संदेश का आदान-प्रदान करते थे। इसके अलावा दर्पण यंत्र भी था, जो अंधकार में प्रकाश का आभास प्रकट करता था।

लड़ाकू विमानों को नष्‍ट करने के लिए रावण के पास भस्‍मलोचन जैसा वैज्ञानिक था ! जिसने एक विशाल ‘दर्पण यंत्र’ का निर्माण किया था। इससे प्रकाश पुंज वायुयान पर छोड़ने से यान आकाश में ही नष्‍ट हो जाते थे। लंका से निष्‍कासित किए जाते वक्‍त विभीषण भी अपने साथ कुछ दर्पण यंत्र ले आया था। इन्‍हीं ‘दर्पण यंत्रों’ में सुधार कर अग्‍निवेश ने इन यंत्रों को चौखटों पर कसा और इन यंत्रों से लंका के यानों की ओर प्रकाश पुंज फेंका जिससे लंका की यान शक्‍ति नष्‍ट होती चली गई। एक अन्य प्रकार का भी दर्पण यंत्र था जिसे ग्रंथों में ‘त्रिकाल दृष्‍टा’ कहा गया है, लेकिन यह यंत्र त्रिकालदृष्‍टा नहीं बल्‍कि दूरदर्शन जैसा कोई यंत्र था। लंका में यांत्रिक सेतु, यांत्रिक कपाट और ऐसे चबूतरे भी थे, जो बटन दबाने से ऊपर-नीचे होते थे। ये चबूतरे संभवत: लिफ्‍ट थे।

रावण काल में ऐसे कई मायावी असुर, दावन, वानर और राक्षस थे जो आश्चर्यजनकरूप से शक्तिशाली थे। जैसे..माल्यवान, सुमाली, माली, रावण, कालनेमि, सुबाहु, मारीच, कुंभकर्ण, कबंध, विराध, अहिरावण, खर और दूषण, मेघनाद, मय दानव, बालि आदि।

राम ने जब रामेश्वरम् में ‍शिवलिंग की स्थापना की थी तब विद्वान पंडित की आवश्यकता थी। रावण ने इस आमंत्रण को स्वीकारा था। दूसरी और राम-रावण के युद्ध के दौरान रावण ने लंका के ख्यात आयुर्वेदाचार्य सुषेण द्वारा अनुमति मांगे जाने पर घायल लक्ष्मण की चिकित्सा करने की अनुमति सहर्ष प्रदान की थी। इस तरह रावण की विनम्रता और अच्छाई के किस्से भी कई है। रावण ने सीता को अपने पास बंधक बनाकर रखा था, लेकिन उसने भूलवश भी सीता को छूआ तक नहीं था । जब भी उसके पास जाता था तो अपनी पत्नी मन्दोदरी को लेकर ही जाता था और सीता की देख भाल के लिये विभीषण की बेटी त्रिजटा को सेवा में लगा रखा था !

वाल्मीकि रामायण में वाल्मीकि जी ने राम की तरह रावण के लिए भी बहुत से अलंकार शब्दों का प्रयोग किया है, जैसे कि रावण, लंकेश, लंकेश्वर, दशानन, दशग्रीव, शकंधर, राक्षससिंह, रक्षपति, राक्षसाधिपम्, राक्षसशार्दूलम्, राक्षसेन्द्र; राक्षसाधिकम्, राक्षसेश्वरः, लंकेश, लंकेश्वर आदि आदि ।

साथ ही कुछ गिनती के स्थानों पर श्री वाल्मीकी जी ने रावण के लिए दस-सिर सूचक शब्दों का भी प्रयोग किया है, जैसे दशानन, दशग्रीव या दशकंधर आदि आदि । किन्तु विशेष बात यह है कि जिस-जिस स्थान पर रावण के लिये दशानन, दशग्रीव या दशकंधर जैसे शब्दों का प्रयोग किया है, वहां-वहां हम पाते हैं कि रावण अपने प्रमुख 9 मंत्रियों से घिरा हुआ बैठा है ।

रावण की मंत्रिपरिषद् में नौ मंत्री हैं : 1.कुंभकर्ण (भाई), 2.विभीषण (भाई), 3.महापार्श्व (भाई), 4.महोदर (भाई), 5.इंद्रजित (बेटा), 6.अक्षयकुमार (बेटा), 7.माल्यवान (नाना का भाई), 8.विरूपाक्ष (माल्यवान का बेटा, रावण का सचिव), और 9.प्रहस्त (मामा, प्रधान मंत्री)।

हालांकि रावण के बारे में एक अन्य प्रसंगानुसार जब रावण की घायल बहन शूर्पनखा रावण की राज्य सभा में जाती है, तो वाल्मीकि लिखते हैं कि रावण मंत्रियों से घिरा बैठा था। “उसके बीस भुजाएं और दस मस्तक थे।” विंशद्भुजं दशग्रीवं दर्शनीयपरिच्छदम् (वा.रा।

इसी तरह जब हनुमान को बंदी बनाकर रावण की मंत्री परिषद के सामने पेश किया जाता है, तब हनुमान देखते हैं कि रावण के दस सिर हैं- शिरोभिर्दशभिर्वीरं भ्राजमानं महौजसम् (वा. रा. 5/49/6)। किन्तु, यह बताना महत्वपूर्ण है कि इससे ठीक पहली रात को जब सीता की खोज कर रहे हनुमान रावण के अन्तःपुर में घुसते हैं, और रावण को पहली बार देखते हैं, तो वहां स्पष्ट रूप में, बिना किसी भ्रम के, शयन कक्ष में सो रहे रावण का एक सिर और दो हाथ ही देखते हैं (वा. रा. 5/10/15)।…अब यह शोध का विषय हो सकता है कि रावण के सचमुच में दस सिर थे या नहीं।

अत: बाल्मीकि रामायण पर किये गये गहन शोध से यह निष्कर्ष निकलता है कि रावण वास्तव में एक सर और दो हाथ का अदभुत अति विद्वान पुरुष था ! उसकी बौद्धिक क्षमता 10 अति विद्वान महापुरुषों के बराबर थी ! साथ ही उसके मंत्रिमंडल में मंत्रियों का रावण के साथ जो सामंजस्य था वह इतना अदभुत था कि उस सामंजस्य को अलंकृत भाषा में महाकवि वाल्मीकि द्वारा वर्णित करने के उद्देश्य से रावण को दशानन कहकर संबोधित किया है !

अर्थात रावण जो सोचता था उसी के अनुरूप उसके मंत्रिमंडल के सारे मंत्री सोचते थे और रावण जो करना चाहता था, उसी के अनुरूप रावण के मंत्रिमंडल के शेष नौ मंत्री कार्य करते थे ! कभी भी रावण के शासन काल में उसका कभी विरोध नहीं हुआ था !

रावण के शासन में पूरे मंत्रिमंडल में रावण सहित दसों लोग एकमत से थे ! इसलिए रावण को दशानन अर्थात दस सर वाला तथा पूरे मंत्रिमंडल की एक ही कार्य पद्धति थी, अतः उसे 20 हाथ बतलाया गया है !

उदाहरण के तौर पर नरेंद्र मोदी जी जब चीन यात्रा पर गये तो उन्होंने कहा कि हमारे भारत के नागरिकों में इतना सामंजस्य है यदि “मैं एक कदम किसी उद्देश्य की तरफ उठाऊंगा तो मेरे देश के सवा सौ करोड़ कदम उस उद्देश्य की तरफ बढ़ चुके होंगे !” ठीक इसी तरह अलंकृत भाषा का प्रयोग करते हुये महाकवि बाल्मीकि द्वारा रावण को 10 सिर और 20 हाथ वाला व्यक्ति बतलाया गया है ! यह कल्पना मात्र उसके मंत्रिमंडल के सामंजस्य का बखान करती है न कि व्यक्तिगत रूप से रावण कोई 10 सर और 20 हाथ वाला व्यक्ति था !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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