कुछ होम्योपैथिक चिकित्सक कोरोना वायरस का इलाज होम्योपैथी द्वारा करना संभव बतला रहे हैं ! अतः इस पर विचार किया जाना अति आवश्यक है ! क्या होमियोपैथी के माध्यम से “जैविक हथियार” कोरोना वायरस का इलाज किया जाना संभव है !
कुछ भी कहने से पहले हमें यह जान लेना अति आवश्यक है कि होम्योपैथी चिकित्सा कैसे करती है ! इसमें जिस औषधि की अधिक मात्रा स्वस्थ शरीर में जो विकार पैदा करती है ! उसी औषधि की लघु मात्रा वैसे समलक्षण वाले प्राकृतिक लक्षणॊं को नष्ट भी करती है ! यही इसका मूल सिधान्त है ! उदाहरण के लिये कच्चे प्याज काटने पर जुकाम के जो लक्षण उभरते हैं जैसे नाक ! आँख से पानी निकलना उसी प्रकार के जुकाम के स्थिति में होम्योपैथिक औषधि ऐलीयम सीपा देने से ठीक भी हो जाता है !
होम्योपैथिक दवाओं को पशुओं ! पौधों ! खनिज के अवशेष और अन्य प्राकृतिक पदार्थों से उर्जाकरण या अंत: शक्तिकरण नामक एक मानक विधि के माध्यम से तैयार किया जाता है ! जिसमें दवाओं के अंत: नीर्हित उपचारात्मक शक्ति को अधिकतम बढ़ाने के लिए लगातार तनुकरण और ह्ल्लन शामिल किया जाता है ! इस प्रकार “शक्तिकरण” के माध्यम से तैयार की गयी दवाईयां बीमारियों का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त रूप में अपनी अंत: शक्ति क्षमता प्राप्त कर लेती हैं ! जबकि साथ ही साथ विषाक्तता के अभाव को भी सुनिश्चित किया जाता है !
आमतौर पर दवाओं के रोगनाशक गुणों का पता लगाने के लिए औषधियों को किसी स्वस्थ मनुष्य में प्रमाणित किया जाता है ! यह प्रणाली जीव में एक स्व-विनियमन शक्ति की मौजूदगी में विश्वास रखती है ! जो किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य ! रोग और इलाज के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ! किसी भी बीमारी से उत्पन्न लक्षणों को शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया के रूप में माना जाता है और ये प्रति उपचार खोजने में सहायता करते हैं ! इसमें शरीर के प्रतिरक्षा-तंत्र को प्राकृतिक रूप से ठीक करने के लिए उत्तेजक करके उपचार किया जाता है !
एक बीमार व्यक्ति के प्रति इस चिकित्सा में व्यक्तिपरक और होलिस्टिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है ! चिकित्सक ! रोगी की शारीरिक और मानसिक स्तर पर सभी अपविन्यास को समझते हुए और लक्षणों के माध्यम से रोगी की वैचारिक छवि बना कर एक प्रतीक समग्रता लाता है और रोगी के लिए सबसे उचित दवा का चयन करता है !
होम्योपैथिक दवाएं लागत प्रभावी ! रुचिकर हैं !यह भ्रम है कि इनका कोई प्रतिकूल पार्श्व प्रभाव नहीं होता है ! जबकि यह सत्य है कि इनका आसानी से सेवन किया जा सकता है ! कुछ मामलों में ! बोझिल और महंगे नैदानिक उपचार विधियों पर निर्भर रहे बिना रोगियों के लक्षणों के आधार पर दवाओं को निर्धारित किया जाता है ! होम्योपैथी ! मनोदैहिक विकारों ! स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों ! बुढ़ापे और बाल चिकित्सा विकारों ! गर्भावस्था के दौरान होने वाली बीमारियों ! दुःसाध्य त्वचा रोगों ! जीवन शैली से सम्बंधित विकारों और एलर्जी ! आदि के उपचार में उपयोगी रही है !
होम्योपैथी की कैंसर, एचआईवी/ एड्स जैसे लाइलाज पुराने मिआदी रोग वाले मरीजों और रुमेटी गठिया आदि जैसी विकलांग बनाने वाली बिमारियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में एक सकारात्मक भूमिका भी है ! इसकी लोकप्रियता दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है !
क्योंकि यह मनुष्य के शरीर में जीवनी शक्ति को पहचान कर आयुर्वेद की तरह रोग को शांत करती है ! इस पैथी ने यह प्रतिपादित किया कि यह जीवनी शक्ति तथा शरीर को बाह्य रूप से आक्रमण करने वाले रोगों से बचाती है ! परन्तु जब लम्बे समय से बीमार होने के कारण रोग अवस्था में जीवनी शक्ति भी रोग से ग्रसित हो जाती है ! तब सदृश विज्ञान के आधार पर चयन की गई होम्योपैथी औषधि इस जीवनी शक्ति के विकार को नष्ट कर शरीर को रोग मुक्त करती है !
आइये अब चर्चा करते हैं कोरोना वायरस पर ! जैसा कि पूरे विश्व में यह सिद्ध हो गया है कि कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है ! तो जब तक कोरोना वायरस किस जैविक सम्मिश्रण से बनाया गया है ! इसका पता नहीं चलता है या उसका सूक्ष्म रूप जब तक होम्योपैथी चिकित्सक के पास उपलब्ध नहीं है ! तब तक मानव द्वारा निर्मित कोरोना वायरस नाम का जैविक हथियार से पीड़ित व्यक्ति का इलाज कोई भी होम्योपैथी चिकित्सक कैसे कर सकता है ! यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है !
ऐसा संभव है की कोरोना वायरस से प्रभावित होने के बाद रोगी के जो शारीरिक लक्षण होते हैं ! उनको देखते हुये कुछ पूर्व की निर्मित औषधियों का प्रयोग करके उन शारीरिक लक्षणों के प्रभाव को कम किया जा सकता है ! किंतु जिन पदार्थों से कोरोना वायरस जैविक हथियार बनाया गया है ! उनके आभाव में होम्योपैथी की औषधि का निर्माण किया जाना सामान्य होम्योपैथी के औषधि निर्माण पद्धति सिद्धांत के विपरीत है ! इसलिये दावे से नहीं कहा जा सकता कि होम्योपैथी से कोरोना वायरस जैसे घातक जैविक हथियार का इलाज किया जा सकता है !
यदि ऐसा संभव होता तो होम्योपैथी के जनक राष्ट्र जर्मन अब तक दवा लेकर बाजार में आ गया होता और इटली, ईरान जैसे देश अब तक इस होम्योपैथी औषधि का उपयोग करके अपने यहां मरने वाले हजारों नागरिकों को बचाने के लिये निश्चित तौर से प्रयास करते !
इसलिए बेहतर है कि किसी भी भ्रम में मत रहिये ! कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है और इससे बचने का कोई उपाय अभी प्रमाणिक तौर पर किसी भी वैज्ञानिक या डॉक्टर के पास उपलब्ध नहीं है ! इस पर प्रयोग चल रहे हैं ! जिन लोगों ने इस जैविक हथियार को बनाया है ! वह लोग इस जैविक हथियार के एंटी डॉट को भी बना कर रखे हैं ! लेकिन इसका प्रचार-प्रसार वह लोग चीन की अर्थव्यवस्था के ध्वस्त होने के बाद ही करेंगे !
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी मंत्रालय) पारंपरिक और वैकल्पिक दवाओं को बढ़ावा देता है ! उस सरकारी आयुष मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने कभी भी यह दावा नहीं किया कि होम्योपैथी में कोरोना वायरस कोविड 19 का “इलाज” है !
अत: जब तक इसका सटीक इलाज नहीं मिलता है ! तब तक ऐसी स्थिति में संयमित जीवन ही इससे बचने का सबसे बड़ा इलाज है ! अतः सनातन जीवन पद्धति के सिद्धांतों को मानते हुये संयमित रूप से जीवन निर्वहन करें ! यही इस जैविक हथियार से बचने का एकमात्र उपाय मुझे दिखाई देता है !!