यह प्रश्न हमेशा से मुझे कचोटता था कि आखिर देश के बंटवारे के समय कश्मीर से खींची गई रेखा ने जब कश्मीर, पंजाब, राजस्थान को दो हिस्से में बांट दिया तो गुजरात के ऊपर थारपारकर जिला, सिंध, पाकिस्तान से यह रेखा अचानक पश्चिम की ओर क्यों मोड़ दी गई और गुजरात को काटकर पाकिस्तान में क्यों नहीं दिया गया !
इस पर मैंने बहुत गहराई से शोध किया, तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं कि जिनको मैं इस लेख के माध्यम से आपके समक्ष रखना चाहता हूं !
इसमें पहला तथ्य तो यह है कि भारत के बंटवारे के दो महानायक एक महात्मा गांधी स्वयं गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र के रहने वाले थे और दूसरा मोहम्मद अली जिन्ना, यह भी गुजरात के ही रहने वाले थे !
और यह भी मूलतः हिंदू ही थे ! जिनके पिता पूंजा लाल प्रेम जी ठक्कर था ! उन्होंने मछलियों के कारोबार को करने के लिए मुसलमान मजदूरों से मैत्रीय संबंध बनाने के चक्कर में इस्लाम स्वीकार कर लिया था ! यह काठियावाड़ गुजरात के रहने वाले थे ! उनकी मातृभाषा भी गुजराती थी ! इनके बाबा का नाम प्रेम जी भाई मेवजी ठक्कर था !
और इसी घटना के तीसरे महानायक सरदार वल्लभभाई पटेल जी थे ! यह भी गुजरात के ही रहने वाले थे ! जो उस समय के गृहमंत्री के रूप में देश की व्यवस्था देख रहे थे !
सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान देश के लिए यह था कि उन्होंने हजारों साल से आ रहे भारत देश के राजघरानों की परंपरा को जड़ मूल से खत्म कर दिया ! जिन राजघरानों में कभी राम और कृष्ण हुआ करते थे आज वह अपने परिचय के लिए मोहताज हैं !
और इस परंपरागत सनातन राजशाही व्यवस्था को नष्ट करने का श्रेय सरदार बल्लभ भाई पटेल को जाता है ! जिन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य द्वारा बनवाए गये संविधान को लागू करने के लिए भारत के हजारों साल की पुरानी परंपरा को नष्ट कर दिया !
इन्हीं तीन महानायकों का योगदान था कि अंग्रेजों ने पंजाब, राजस्थान, जम्मू कश्मीर राज्य को तो दो टुकड़ों में बांट दिया लेकिन गुजरात को लगभग वैसा ही रहने दिया जैसा वह भारत की आजादी के पहले था !
इस पर विस्तार से चर्चा मैं कभी आगे के लेखों में करूंगा ! जिस में अनेकों ऐसे खुलासे करूंगा ! जिन्हें इतिहास के पन्नों में कभी दर्ज ही नहीं किया गया !!