मानसिक रोग का उपचार आपकी मानसिक बीमारी के प्रकार और इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है ! कई चिरकारी बीमारियों की तरह मानसिक बीमारी को चलते इलाज की आवश्यकता होती है !
एलोपैथी तुरंत नतीजों के साथ विशिष्ट लक्षणों का उपचार करती है, जबकि आयुर्वेद इस मान्यता पर काम करता है कि तमाम विकार (भौतिक और मानसिक) ऊपर उल्लिखित एक या उससे ज़्यादा कारणों में असंतुलन से पैदा होते हैं ! प्रभावी उपचार, डॉक्टरों के मुताबिक, एक समग्र नज़रिए से ही संभव है ! इसी नज़रिए की वजह से मनोचिकित्सक ये मानते हैं कि आयुर्वेद में वैकल्पिक उपचार की संभावना भले न हो लेकिन एक पूरक उपचार के रूप में वो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दो के लिए उपयोगी हो सकती है !
कई मानसिक स्थितियों का इलाज एक या अधिक निम्नलिखित उपचारों के साथ किया जा सकता है:-
1 ! मनोवैज्ञानिक चिकित्सा: डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक या अन्य स्वास्थ्य पेशेवर व्यक्तियों से उनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में बात करते हैं और उनके बारे में सोचने और प्रबंधित करने के नए तरीकों की चर्चा करते हैं !
2 ! औषधि-प्रयोग: कुछ लोगों को कुछ समय तक दवा लेने से मदद मिलती है; और दूसरों को निरंतर आधार पर आवश्यकता हो सकती है !
3 ! सामुदायिक सहायता कार्यक्रम: सहायता कार्यक्रम विशेष रूप से आवर्ती लक्षण वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं या जिनकी मानसिक विकलांगता है ! इस समर्थन में जानकारी, आवास, उपयुक्त कार्य, प्रशिक्षण और शिक्षा, मनोवैज्ञानिक पुनर्वास और आपसी सहायता समूहों को खोजने में सहायता शामिल हो सकती है !
4 ! औषधि-प्रयोग हालांकि मनोरोग दवाएं मानसिक बीमारी का इलाज नहीं करती हैं, वे अक्सर लक्षणों में काफी सुधार कर सकते हैं ! मनश्चिकित्सा दवाएं अन्य उपचारों जैसे मनोचिकित्सा को अधिक प्रभावी बनाने में मदद कर सकती हैं !
5 ! एंटी-डिप्रेसन्ट दवाएं: अवसाद, चिंता और कभी-कभी अन्य परिस्थितियों का इलाज करने के लिए एंटीडिप्रेसन्ट का उपयोग किया जाता है ! वे उदासी, निराशा, ऊर्जा की कमी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और गतिविधियों में रुचि की कमी जैसे लक्षणों को सुधारने में सहायता कर सकते हैं ! एंटीडिप्रेसन्ट की लत नहीं हैं और निर्भरता नहीं पैदा करते हैं !
6 ! एंटी-व्यग्रता दवाएं: इन दवाओं का उपयोग चिंता विकारों के इलाज के लिए किया जाता है, जैसे कि सामान्यकृत चिंता विकार या आतंक विकार ! वे व्याकुलता और अनिद्रा को कम करने में भी मदद कर सकते हैं दीर्घकालिक एंटी-डेंटिटी ड्रग्स आमतौर पर एंटीडिप्रेसन्ट होते हैं जो चिंता के लिए भी काम करती हैं ! दीर्घकालिक एंटी-व्यग्रता ड्रग्स आमतौर पर एंटी-डिप्रेसन्ट होते हैं जो चिंता के लिए भी काम करती हैं !
7 ! मूड स्थिर करने वाली दवाएं: मनोदशा स्टेबलाइजर्स का उपयोग आमतौर पर द्विध्रुवी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है, जिसमें उन्माद और अवसाद के वैकल्पिक एपिसोड शामिल होते हैं ! अवसाद का इलाज करने के लिए कभी-कभी मूड स्टेबलाइजर्स का इस्तेमाल एंटीडिप्रेसन्ट के साथ किया जाता है !
8 ! मनोविकार की दवाएं: मनोवैज्ञानिक दवाओं का प्रयोग आमतौर पर मनोवैज्ञानिक विकारों, जैसे कि सिज़ोफ्रेनिया के इलाज के लिए किया जाता है ! मनोवैज्ञानिक दवाओं का उपयोग द्विध्रुवी विकारों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है या अवसाद का इलाज करने के लिए एंटीडिप्रेसन्ट के साथ प्रयोग किया जा सकता है !
9 ! मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सा, जिसे टॉक-थेरेपी भी कहा जाता है, में आपकी स्थिति और मानसिक स्वास्थ्य प्रदाता के साथ संबंधित मुद्दों के बारे में बात करना शामिल है ! मनोचिकित्सा के दौरान, आप अपनी स्थिति और आपके मूड, भावनाओं, विचारों और व्यवहार के बारे में जानें ! अंतर्दृष्टि और ज्ञान आपको लाभ के साथ, आप मुकाबला और तनाव प्रबंधन कौशल सीख सकते हैं ! अंतर्दृष्टि और ज्ञान से, आप तनाव से निपटने और उसका प्रबंधन करना सीख सकते हैं !
मनोचिकित्सा अक्सर कुछ महीनों में सफलतापूर्वक पूरा हो सकता है, लेकिन कुछ मामलों में, दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता हो सकती है !
साथ ही इन ज्योतिषीय उपायों से खुद को और अपने परिवार को बीमारियों से दूर रखने में सहायता मिलती है :-
1 ! पीपल के पेड़ पर रविवार को छोड़कर हर दिन जल चढ़ाएं ! साथ ही इस वृक्ष की परिक्रमा करें ! पुरुष सात बार परिक्रमा करें किन्तु महिलाएं परिक्रमा न करें !
2 ! हर पूर्णिमा पर भोलेनाथ को जल चढ़ाएं !
3 ! अमावस्या को प्रात: मेहंदी का दीपक पानी मिला कर बनाएं ! चौमुंहा दीपक बनाकर उसमें 7 उड़द के दाने, कुछ सिन्दूर, 2 बूंद दही डाल कर 1 नींबू की दो फांकें शिवजी या भैरों जी के चित्र का पूजन कर, जला दें !
4 ! महामृत्युजंय मंत्र की एक माला या बटुक भैरव स्रोत का पाठ करने रोग-शोक दूर होते हैं !
5 ! पीड़ित को पक्षियों, पशुओं और रोगियों की सेवा करनी चाहिए ! इससे बीमारी के आलावा, भूत बाधा भी दूर होते हैं साथ ही मानसिक शान्ति का भी अनुभव होता है !
6 ! पीने के पानी में थोड़ा गंगा जल मिलाकर पीने से भी रोगी को शीघ्र लाभ मिलता है !
7 ! प्रत्येक मंगलवार को बजरंबली को सिन्दूर चढ़ाएं और बजरंबली से जल्द ही स्वस्थ होने की प्रार्थना करें ! साथ ही वह सिन्दूर रोगी भी लगाए !
8 ! शुक्ल पक्ष को सोमवार के दिन सात जटा वाले नारियल लेकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए नदी में प्रवाहित करें ! इससे रोग अौर दरिद्रता दोनों ही दूर हो जाएंगे !
9 ! तकिए के नीचे सहदेई अैर पीपल की जड़ रखें, इससे लम्बे समय से चली आ रही बीमारी से छुटकारा मिल जाएगा !
10 ! दान पुण्य करने से भी बहुत लाभ होता है !